माता वैष्णो देवी यात्रा कैसे करें | Mata Vaishno Devi Yatra Kaise Kare

सनातन धर्म में तीर्थ यात्रा की बड़ी मान्यता है। भारत चारों ओर से तीर्थों से ही घिरा देश है। एवं सभी तीर्थों की अपनी-अपनी मान्यता एवं महत्व हैं। उन्हीं में से एक तीर्थ है देवी वैष्णो के धाम की यात्रा। दुनिया भर के सभी सनातनी वैष्णो देवी की यात्रा को लेकर उत्सुक एवं जिज्ञासु होते हैं। तथा अवसर मिलने पर मां के द्वार जाने का सौभाग्य भी प्राप्त कर ही लेते हैं। लेकिन किसी भी यात्रा को करने के लिए उसके विषय में पूर्ण जानकारी होनी अत्यंत आवश्यक है। खासकर वैष्णो देवी की यात्रा अत्यंत ही दुर्गम होने के साथ मनोहारी एवं आनंद पूर्ण होता है। तो आज के इस लेख में हम जानेंगे हिंदू धर्म के इस महान तीर्थ वैष्णो देवी की यात्रा के विषय में। जिससे कि यदि आप भी यह यात्रा करने वाले हैं तो आपको इसके विषय में पूर्ण अनुभव प्राप्त हो जाए। एवं किसी प्रकार की परेशानी ना उठानी पड़े। तो आइए जानकारियों का यह सिलसिला प्रारंभ करते हैं।

माता वैष्णो देवी की यात्रा का परिचय | Vaishno Devi Temple Introduction | वैष्णो देवी की चढ़ाई कितनी है

माता भगवती श्री वैष्णो देवी [Jag Janani Maa Vaishno Devi] का मंदिर जम्मू कश्मीर में स्थित कटरा नाम के एक नगर से अनुमानतः 12 किलोमीटर दूरी पर त्रिकूट पर्वत पर स्थित है। एवं देवी माता त्रिकूट पर्वत पर लगभग 5200 फीट की ऊंचाई पर मंदिर में विराजमान हैं। जम्मू क्षेत्र का सर्वाधिक सम्मानित एवं मान्यता प्राप्त यह‌ मंदिर है। यहां मां को अलग-अलग नामों से पुकारते हैं भक्त कोई त्रिकुटा माता तो कोई वैष्णो देवी तथा कोई माता रानी के नाम से पुकारते हैं। भगवान वेंकटेश्वर के पश्चात वैष्णो देवी का ही यह मंदिर आता है जिसके दर्शन करने सर्वाधिक मात्रा में दूर-दूर से भक्त जन आते हैं। माता के प्रहरी के रूप में साक्षात श्री हनुमंत लाल विराजमान हैं। तथा यहीं माता के परम भक्त श्री भैरवनाथ का भी मंदिर है। जिनकी पूजा प्रथम में करने के पश्चात माता की पूजा की जाती है। मंदिर का संचालन सही ढंग से करने हेतु श्री माता वैष्णो देवी तीर्थ मंडल नाम की संस्था तत्पर रहती है।

माता वैष्णो देवी की गुफा दुनियांभर में बहुत प्रसिद्ध है |

क्या है वैष्णो देवी का इतिहास | Hitory of Maa Vaishno Devi Mandir

देवी वैष्णो से जुड़ी एक प्राचीन कथा जिसकी हिंदू धर्म में काफी मान्यता है। देवी के अवतार से जुड़ी इस कथा को आइये संक्षिप्त में जानते हैं।रत्नाकर नाम के एक बड़े ही सदकर्मी एवं धार्मिक राजा थे। किंतु दुर्भाग्यवश उनके कोई संतान नहीं थी वे राजा एवं रानी देवी के भक्त थे। देवी ने उन पर कृपा कर दी एवं स्वयं ही उनके घर पुत्री के रूप में जन्म लिया। जिस पुत्री का नाम त्रिकुटा रखा गया। इन्हें तीनों देवियों देवी दुर्गा, देवी लक्ष्मी, एवं देवी सरस्वती का सम्मिलित रूप माना जाता है। मान्यता है कि त्रिकुटा इन्हीं तीन देवियों का सम्मिलित अंश है। त्रिकुटा के जन्म से पूर्व ही उसके माता-पिता से देवी ने स्वप्न में यह वचन ले लिया था कि वह अपनी पुत्री को कोई भी कार्य करने से नहीं रोकेंगे। एवं उनके जन्म लेने का उद्देश्य पूर्ण होने में बाधा नहीं बनेंगे। तथा आगे चलकर उन्हीं त्रिकुटा का नाम वैष्णवी पड़ा। वैष्णवी ने मात्र 9 वर्ष की आयु में ही अपने माता-पिता से तपस्या करने की आज्ञा मांगी। एवं माता पिता वचनबद्ध होने के कारण ना चाहते हुए भी उन्हें तप करने की आज्ञा देते हैं। एवं जब श्री राम लक्ष्मण पूरी वानर सेना के साथ सीता की खोज करते हुए उन्हीं गुफाओं से होकर गुजरते हैं तो भगवान राम की दृष्टि देवी वैष्णवी पर पड़ती है। एवं वे उनसे उनके तप करने का कारण पूछते हैं तथा वरदान मांगने को कहते हैं। तब देवी वैष्णवी ने भगवान राम को अपनी तपस्या का प्रयोजन बताया कि वह उन्हें अपने वर के रूप में प्राप्त करना चाहती हैं तथा वे उनकी यह प्रार्थना स्वीकार करें। किंतु भगवान राम मर्यादा पुरुषोत्तम एवं एक पत्नी व्रत धारण किए होने के कारण उनकी प्रार्थना स्वीकार नहीं करते। एवं उन्हें कलयुग तक प्रतीक्षा करने की आज्ञा देते हैं। एवं यह वचन देते हैं कि कलयुग में जब वे कल्कि अवतार धारण करेंगे तो देवी वैष्णवी की इच्छा को पूर्ण करेंगे तब तक के लिए उन्हें उत्तर भारत के पर्वत श्रृंखलाओं पर निवास करने एवं अनेकों अनेक भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करने के लिए विराजमान होने को कहा। देवी त्रिकुटा के उस पर्वत पर निवास करने के कारण पर्वत का नाम त्रिकूट पर्वत पड़ा। एवं सीता हरण की सूचना देवी वैष्णवी को पड़ने पर उन्होंने भगवान राम के विजय के लिए 9 दिनों तक मां दुर्गा के नौवों स्वरूपों की आराधना करती हैं। इसी कारण नवरात्रि के इन 9 दिनों में जगह जगह रामायण पाठ एवं रामलीला का आयोजन होता है। तथा देवी के व्रत की सफलता के साथ दसवें दिन दशहरा का त्योहार मनाया जाता है। जोकि देवी वैष्णवी की मनोकामना की सफलता का सूचक है। इस दशहरे में भगवान राम की विजय एवं दशानन लंकेश की हार का आनंद मनाया जाता है।

वैष्णो देवी की यात्रा पर जाने का उचित समय कब है | Vaishno Devi Kapat Open | How to Visit Vaishno Devi

देवी के धाम की यात्रा के लिए सबसे सुविधाजनक समय गर्मियों का होता है। इस वक्त पर्वतीय क्षेत्रों में मौसम अनुकूल रहता है। जबकि ठंडे या बरसात के मौसम में जाने पर प्रतिकूल मौसम का भी सामना करना पड़ सकता है। इसके अतिरिक्त गर्मी की छुट्टियों में अथवा देवी से जुड़े किसी त्योहार आदि में नवरात्रों में। यहां भक्तों ज्यादा भीड़ लगती है इसी कारण दर्शन की बारी आने में भी देर होती है।

मौसम के अनुसार करें तैयारी | Shri Mata Vaishno Devi Weather | Temperature in Vaishno Devi

जिस मौसम में यात्रा पर जा रहे हो उस मौसम के अनुकूल अपनी पैकिंग अवश्य कर लें। जिससे कि आपको परेशानी ना हो ठंड में जा रहे हो तो गर्म कपड़े आराम देय जूते साॅल दस्ताने इत्यादि।एवं गर्मियों में जा रहे हो तो हलके वस्त्र लेकर जाना उचित है। एवं मानसून के समय में इस यात्रा को करने वालों को अपने साथ छाता तथा बरसाती कपड़े (रेनकोट) साथ ले जाने चाहिए।

क्या-क्या व्यवस्थाएं प्राप्त हो सकती है वहां तक पहुंचने के पश्चात | Facility Near Vaishno Devi Temple

भवन अथवा मुख्य परिसर में पहुंचने के पश्चात वहां किराए पर अथवा निशुल्क रहने की व्यवस्था प्राप्त हो जाएगी। तथा अपने सामान इत्यादि रखने हेतु क्लॉक रूम, चिकित्सा के लिए चिकित्सालय, एवं भोजन हेतु शाकाहारी रेस्टोरेंट भी मौजूद है। इसके अतिरिक्त प्रसाद एवं कुछ स्मृति चिन्ह बेचने वाली दुकानें भी मौजूद है।

यात्रा के लिए स्वास्थ्य अच्छा होना आवश्यक है | Health Tips for Vaishno Devi Yatra

यूं तो इस यात्रा को करने हेतु किसी विशेष स्वास्थ्य सर्टिफिकेट की आवश्यकता नहीं। किंतु फिर भी क्योंकि यह धाम काफी ऊंचाई पर है। एवं इसे स्वस्थ एवं पुष्ट व्यक्ति ही कर पाने में सक्षम हो सकते हैं। अतः यह ख्याल रखें कि ह्रदय रोग, रक्तचाप संबंधी समस्या, सिर दर्द सिर का घूमना, सांस फूलना इत्यादि जैसी समस्या ना हो। अथवा कई बार ऐसी छोटी समस्याएं ऊंचाई व अधिक गर्मी के कारण भी हो जाती हैं। ऐसे में आपको यही सलाह दी जाती है कि जरा ठहर ठहर कर अपनी यात्रा पूर्ण करें। तथा पर्याप्त मात्रा में समय-समय पर भोजन पानी ग्रहण करते रहे।

वैष्णो देवी यात्रा के लिए सुगम मार्ग | Way of Vaishno Devi Mata Temple | Yatra Kaise Karen

दिल्ली के अतिरिक्त अन्य कई राज्यों के शहरों से भी जम्मू के कटरा तक डायरेक्ट ट्रेन चलती है। आप अपने नजदीकी शहर से कटरा तक की यात्रा ट्रेन से कर सकते हैं। उसके पश्चात कटरा से आप अपनी सुविधा के अनुसार कोई व्यवस्था करके त्रिकूट पर्वत तक पहुंच सकते हैं। अपनी इच्छा होने पर कटरा से मां के पहाड़ियों [katra to vaishno devi] तक पैदल भी जा सकते हैं।

कोरोनावायरस से त्रस्त होने पर भारत के प्रायः सभी मंदिरों के कपाट बंद कर दिए गए थे। एवं यात्राएं रोक दी गई थी। क्यों कि चूंकि अब स्थिति में सुधार आ चुका है। तो यह यात्राएं पुनः प्रारंभ कर दी गई है। एवं इसी के अनुसार वैष्णो देवी द्वार खुल गए हैं। एवं भक्तों के लिए यात्रा भी प्रारंभ हो चुकी है 2021 नवरात्रि प्रारंभ होने के कारण। भक्तों की सुविधाओं का ख्याल रखते हुए सेवाएं और बढ़ा दी गई हैं।

वैष्णो देवी यात्रा के लिए तैयारी कैसे करें | How to Travel Vaishno Devi

यदि देवी के धाम की यात्रा करने की लिए आप भी उत्सुक हैं। तो इसके लिए पूर्ण तैयारी अवश्य कर लें। सर्वप्रथम तो अपनी टिकट बुकिंग समय पर करवा लें। इसके पश्चात मौसम के अनुरूप वस्त्र इत्यादि की पूर्ण व्यवस्था अपने साथ ही लेकर जाएं। एवं क्योंकि परिसर तक पहुंचने के पश्चात आपको व्यवस्थाएं प्राप्त हो सकेंगी खाने पीने की। इससे पूर्व के लिए आपको अपने साथ उचित मात्रा में कुछ भोजन पानी की व्यवस्था भी लेकर चलनी चाहिए। एवं यात्रा काफी दुर्गम है जितना संभव हो सके कुछ संगी साथियों के साथ ही इस यात्रा को पूर्ण करना चाहिए। जिससे कि सभी एक दूसरे का ख्याल रखते हुए। एक दूसरे का हौसला बढ़ाते हुए इस कठिन यात्रा को सरलता से पूर्ण कर सकें।

माता वैष्णो देवी टेम्परेचर | Mata Vaishno Devi Temperature

हम सभी जानते हैं की माता देवी जी के दर्शन करने के लिए हमें पहाड़ों से होकर जाना होता है | और पहाड़ों का मौसम बहुत अलग होता है | यहाँ कभी भी तेज़ बारिश हो जाती है और कभी भी घने बदल छा जाते हैं और कभी भी तेज हवाएं चलने लगती हैं | इसीलिए जब भी आपको माता के दर्शन करने जाना है तो आपको मौसम की जानकारी (vaishnodevi temperature) जरुर होनी चाहिए |

वैसे तो माता का दरबार पूरे वर्ष खुला रहता है | लेकिन गर्मियों के मौसम में जाना अच्छा रहता है | आप फरवरी महीने से अक्टूबर महीने के बीच कभी भी अपनी यात्रा कर सकते हैं | लेकिन आपको बरसात के मौसम में जाना चाहते हैं तो आपको बहुत सावधानी बरतनी होती है | क्योंकि बरसातों में पहाड़ों के खिसकने कर भय लगा रहता है | और एक बात आपको ध्यान रखनी चाहिए की आप कभी भी माता वैष्णो देवी जी के दर्शन करने जाएँ अपने साथ गर्म कपडे, टोपी, कम्बल, रेन कोट आदि जरुर लेकर जाएँ | क्योंकि वहां का मौसम हमेशा बदलता रहता है |

माता वैष्णो देवी की लाइव आरती कैसे देखें | Vaishno Devi Aarti Live from Bhawan Today

अगर आप वैष्णो देवी जी की आरती लाइव देखना चाहते हैं तो आप इन्टरनेट की सहायता से अपने मोबाइल या कंप्यूटर पर इनके दर्शन कर सकते हैं | लाइव आरती देखने के लिए यहाँ क्लिक करें |