तिरुपति तिरुमाला बालाजी यात्रा | तिरुपति बालाजी के दर्शन कैसे करे 2023

हिंदू धर्म में संकट को हरने एवं कष्ट, बीमारी से मुक्ति दिलाने वाले एक मात्र ऐसे भगवान हैं जो इन सब से एक व्यक्ति को दूर रखता हैं तथा इनकी पूरे मन और श्रद्धा  से पूजा करने पर कोई भी विपत्ति इनके भक्त को छू भी नहीं सकती I और वो भगवान हैं तिरुपति तिरुमाला बालाजी महाराज I आइए पढ़ते हैं इस आर्टिकल में और समझते है इनके अवतार और चमत्कार को और साथ ही लोगों के प्रति इनकी श्रद्धा के बारे में I 

तिरुपति तिरुमाला बालाजी के दर्शन। Tirupati Balaji Ki Darshan

दक्षिण भारत के  मंदिर बहुत भव्य एवं प्रसिद्ध हैं तिरुपति बालाजी मंदिर सर्वाधिक मंदिरों में से एक हैं ये प्रभु वेंकटेश्वर बालाजी का मंदिर हैं जिन्हें विष्णुजी का अवतार माना जाता हैं ।ये आन्ध्र प्रदेश के चीतोंर ज़िले मे हैं ये दक्षिण में स्थित तालाब तिरुमाला के पास बना हैं इसके चारों तरफ पहाडियाँ शेषनाग के सात फ़नो के आधार पर सत्यगिरी कहलाती हैं I 

मंदिर का इतिहास | Tirupati Balaji Mandir History

इस मंदिर का इतिहास 5 वी शताब्दी से शुरू होता हैं ये मंदिर सभी धर्मों के लिए खुला हुआ हैं भगवान बालाजी के मन्दिर को किसी ने नहीं बनाया हैं बल्कि ये मूर्ति स्वयं यहां पर प्रकट हुई थीं ।बालाजी के मूर्ति पर चोट का निशान हैं जहां औषधि के रूप में चंदन लगाया जाता हैं बालाजी के मूर्ति के सिर पर असली रेशमी बाल हैं इन बालों की विशेषता ये हैं कि इन बालों पर कभी उलझनें नहीं पड़ती, हमेशा साफ़ ही दिखाई पड़ती हैं । 

तिरुपति बालाजी  में करने वाला महत्वपूर्ण  दान कौन सा है? | Tirupati Balaji Me Kya Dan Kare

दोस्तों इस मंदिर में केश दान की परम्परा बहुत ज्यादा प्रचलित हैं मन्नत पूरी होने पर लोग यहाँ पर अपने केश दान करते हैं और इसका एक गहरा अर्थ भी हैं कि अपने केश के साथ घमंड और बुराई को समर्पित कर देना लगभग 20,000 लोग अपने केश दान करते हैं । मंदिर की प्रतिमा को अगर ध्यान से सुना जाए तो इस मूर्ति के भीतर से समुद्र की लहरें सुनाई देती हैं । बालाजी की मूर्ति हमेशा नम रहती हैं मगर ऐसा क्यूँ हैं आज तक इसका पता नहीं चला हैं I 


तिरुपति बालाजी का प्रसाद | Tirupati Balaji Mandir Prasad

मंदिर में रोजाना 3 लाख लड्डू बनते हैं इस मन्दिर से 23 किलोमीटर दूर एक मंदिर हैं जहां लोग बहुत पुराने नियमों के तरीकों से रहते हैं उसी गाँव से लाये गये फूल,फल, घी, मक्खन आदि मंदिर में चढाए जाते हैं। इस गाँव का किसी को पता नहीं है और ना ही किसी भी व्यक्ति को वहाँ जाने की अनुमति हैं भगवान बालाजी के छाती में हमेशा लक्ष्मी जी विराजमान रहती हैं माता यहाँ पर रहती हैं इसका पता तब चलता हैं जब हर गुरुवार को बालाजी का पूरा श्रृंगार उतार कर उन्हें स्नान कराया जाता हैं और फिर उन पर चंदन का लेप लगाया जाता हैं जब चंदन का लेप हटाया जाता हैं तो हृदय पर माता लक्ष्मी कि छवी  उभर कर आती हैं I 

लोगों की मान्यता के अनुसार माने | Tirupati Se Aap Kya Samajhte Hain

दोस्तों आपकों जानकर हैरानी होगी कि यहां पर गर्भगृह में एक दीपक बिना घी,तेल के हजारों सालों से जल रहा हैं ये सब केसे होता हैं आज तक किसी को पता नहीं चला। पचाई कपूर को किसी साधारण प्रतिमा में लगाने से वो पथर धीरे-धीरे चटक जाता हैं लेकिन वेंकटेशवर भगवान का चमत्कार ही हैं जो पचाई कपूर को वेंकटेशवर प्रतिमा पर चढ़ाने पर इस प्रतिमा पर कोई फ़र्क नहीं पड़ता हैं। अन्य मंदिरों की तरह यह भी भगवान को और भगवानों की तरह तुलसीपत्र चढ़ाया जाता हैं लेकिन उसे भक्तों को प्रसाद के रूप मे नहीं दिया जाता I पूजा करने के बाद उस तुलसीपत्र को मंदिर परिसर में मौजूद एक कुएं में डाल दिया जाता है, फिर उसको मुड़कर कभी देखा नहीं जाता हैं इस मंदिर में मांगी जाने वाली हर मन्नत पूरी होती है| मन्दिर के मुख्य द्वार के बायीं ओर एक छड़ी हैं ऐसा माना जाता हैं कि इस की छड़ी से बाल्यावस्था में इस छड़ी से बालाजी की पिटाई की गयी थी और उनकी ठुड्डी पर चोट लग गयी थीं इस कारणवश उनकी ठुड्डी पर शुक्रवार को चंदन का लेप लगाया जाता हैं ताकि उनका घाव भर जाए ,अगर जब आप बालाजी के गर्भ गृह में जाकर देखेंगे तो पाएंगे कि मूर्ति गर्भगृह के मध्य में स्थित हैं वही अगर गर्भगृह के बाहर आकर देखेगें तो ऐसा लगेगा कि मूर्ति दायी ओर स्थित है I भगवान की प्रतिमा को प्रतिदिन नीचे धोती और ऊपर साड़ी से सजाया जाता हैं । ऐसा मान्यता है कि बालाजी पर ही माता लक्ष्मी जी का रूप समाया हैं और इसी कारण से ऐसा करा जाता हैं I इस मंदिर पर जो भी पुष्प माला चढ़ाया जाता हैं उन्हें मूर्ति के पीछे ही फेंक दिया जाता हैं ऐसी मान्यता हैं कि इसे देखना अशुभ और पाप माना जाता हैं ।वेसे तो भगवान बालाजी की प्रतिमा एक विशेष चिकने पत्थर से बनी है मगर ये पूरी तरीके से जिवंत लगती हैं मन्दिर के वातावरण को काफी ठंडा रखा जाता हैं दोस्तों आपकों जानकर काफी हैरानी होगी कि बालाजी की मूर्ति का तापमान हमेशा 110 डिग्री F रहता हैं और मूर्ति को पसीना भी आता हैं जिसे पुजारी समय समय पर पोछते भी रहते है ।

दोस्तों क्या आप जानते हो कि ये मंदिर दुनिया के सबसे अमीरों  के मन्दिरों के गिनती में आता हैं पर आपको जानकर हैरानी होगी कि यह तिरुपति बालाजी गरीब है और कर्ज तले दबे हुए हैं जी हाँ दोस्तों आपने बिल्कुल सही सुना है ये मन्दिर तो अमीर हैं पर भगवान गरीब है । 

तिरुपति बालाजी के दर्शन कैसे करे 2023 | TTD Online Room Booking | TTD Online Tickets

तिरुपति बालाजी का मंदिर सबसे अमीरों मन्दिरों में से एक हैं अगर आप यहाँ हर महीने कभी किसी भी दिन जाते हो तो आपको यहाँ पर भक्तों की हमेशा भीड़ ही दिखाई देगी , अगर आप यहां किसी भी प्लानिंग के बिना जाते है तो आपको कुछ दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता हैं आपके 3 या 4 घण्टे दर्शन टिकट खरीदने में ही निकल जाएंगे और होटल मे रूम मिलना भी मुश्किल होता हैं क्योंकि 4 या 5 घण्टे तो दर्शनं की लाइन में खडा रहना पड़ता है इन सब तकलीफों के बाद  स्टेमिना खत्म हो जाता है ।इसलिए जब भी बालाजी के दर्शन करने जाए तो हमेशा प्लानिंग के साथ जाए I 

तिरुपति बालाजी दर्शन ऑनलाइन टिकट बुकिंग 2023 | Tirupati Balaji Temple Ticket

अगर आप दर्शन के लिए जाए तो कौन सी रैल जाती है तिरुपति बालाजी के लिए तो उसका पता आप वेबसाइट के www.irctc.co.in.com पर जाकर भी पता कर सकते है । कुछ ट्रेन तिरुपति पर जाकर रुकती हैं और कुछ ट्रेन तिरुपति से पहले 5 किमी रेनीकुन्ठा नाम का स्टेशन लगता हैं वहाँ पर रुकती हैं रैल की सूची देख कर आप पता कर सकते हैं अगर आपको सीधे तिरुपति रुकने वाली रैल मिलती हैं तो बहुत अच्छा होगा ।वर्ना रेनीकुन्ठा नाम स्टेशन भी रैल बुक करा सकते हो, वहाँ से भी आपको प्राइवेट बस या ऑटो मिल जाएगी I दोनों बालाजी मंदिर आने और जाने का टिकट कन्फर्म करा ले I

आपकों होटल में रुकना है उसी हिसाब से टिकट बुक करा ले I दूसरी बात यह है कि बालाजी के दर्शन करने के लिए ही बहुत ज्यादा समय लग जाता है इसका दूसरा तरीका यह है कि आप स्पेशल एंट्री दर्शन [ttd 300 rs ticket online booking] का, आप 300 रुपये देकर भी बालाजी के दर्शन कर सकते हों I 4 से 5 घन्टों में भी आप बालाजी के दर्शन कर सकते हो इसके लिए आपको 90 दिन पहले या 3 घण्टे पहले एडवांस्ड में भी टिकट बुक करा सकते हो I 

तिरुपति बालाजी यात्रा स्पेशल टिकिट | TTD 300 Rs Ticket Online Booking

स्पेशल प्रवेश के लिए आपको तिरुपति तिरुमाला जी की वेबसाइट https://www.tirumala.org/ पर जाना हैं सबसे पहले आपको साईन अप करना होगा फिर वहाँ जाकर पास वर्ड बनाना होगा, फिर वहाँ  लॉगिन करके आपके सामने होम पेज खुल जायेगा I वहाँ पर सर्विस पर आपको स्पेशल एंट्री दर्शन क्लिक करना होगा,आप जिस दिन से बालाजी के दर्शन करना चाहते हो उस दिन का तारीख सेलेक्ट कर ले और उस दिन का टाइम देख लें और आपकों जिस दिन दर्शन करना हैं सेलेक्ट कर लीजिए I और फिर आगे कन्टिन्यू करे I और इसके आगे आपकों जो जो प्रोसेस  करने को बोले आगे वो वो करते जाएये I लास्ट में पेमेंट का ऑप्शन आयेगा उसको पूरा कीजिए फिर इसके बाद आपका स्पेशल एंट्री दर्शन बुक हो जायेगा I उसका दो कॉपी प्रिंटआउट करके रख ले I होटल में रूम बुक करने के लिए 90 दिन पहले या 1 दिन पहले भी बुक कर सकते हों I रूम बुक करने का प्रोसेस जेसे स्पेशल एंट्री दर्शन के तरह ही हैं I आप  https://www.tirumala.org/  पर जाकर accommodation में जाकर क्लिक करके बुक कर सकते हों I 

क्या है TTD | TTD Full Form

दोस्तों अगर आप तिरुपति तिरुमाला बालाजी के दर्शन के लिए ऑनलाइन बुकिंग करते है तो आपको अब https://www.tirumala.org/ वेबसाइट पर जाना होता है | लेकिन पहले इसके लिए आपको ttdsevaonline.com वेबसाइट पर जाना होता था | जोकि अब काम नहीं कर रही है | इस वेबसाइट में TTD का मतलब या फुल फॉर्म होता है “Tirumala Tirupati Devasthanams” | यह तिरुपति तिरुमाला बालाजी अधिकारिक वेबसाइट है |

तिरुपति बालाजी दर्शन के सफर करते समय ध्यान रखने वाली बातें | Tirupati Balaji Yatra Useful Tips | तिरुपति बालाजी दर्शन के नियम

  • जब भी रैल में सफ़र करे तो उस दौरान पीने का साफ बोतल का पानी ही लेकर जाए I
  • स्टेशन में बिकने वाली तेल से बनी चीजें आपकों नहीं खाना हैं और आपके साथ अगर बच्चे जा रहे हैं तो उनको पहले ही समझा देना है कि किसी भी अनजान व्यक्ति से कुछ ना ले I
  • अगर आप इन सब बातों का ध्यान रखते है तो आपकी सेहत भी अच्छी रहेगी और आपकों दर्शन के दौरान मुश्किलों का सामना नहीं करना पड़ेगा I 
  • दूसरी बात आपकों वहां पहुंच कर सबसे पहले अपने बुक किये हुए रूम को देखना है फिर आराम करना है क्योंकि सफर में आप इतना थक जाएंगे कि आप बस से उतरते ही आराम करने का मन करेगा I 
  • बस से उतरते ही बगल में CRO का ऑफिस हैं वहाँ जाकर आपकों रूम बुकिंग का प्रिंट आउट दिखाना है या 500 रूपए भरना पड़ता है I CRO ऑफिस का बाबु आपका एक प्रिंट आउट कॉपी रख लेगा और दूसरा आपकों दे देगा इससे आपको पता चल जाएगा कि आपकों कौन से काम्प्लेक्स में रूम मिला हैं ।
  • CRO ऑफिस के बगल में ही पूछताछ काउन्टर है वहाँ से आपकों अपने रूम का पता चल जाएगा I वहाँ के लोगों को बहुत कम हिन्दी और अंग्रेजी आती हैं तो पूछताछ केंद्र में ही सही रहेगा I 

तिरूपति बालाजी दर्शन का समय | Tirupati Tour Timing | Trip to Tirupati Balaji Darshan Timing

मंदिर सुबह 6 बजे से रात के 9 बजे तक खुलता हैं ।

अगर आप वहाँ जाते हैं तो आपको कोरोंना का ध्यान रखते हुए पूरा टीकाकरण होना आवश्यक हैं ।और साथ में मास्क और सेनिटायजर भी ले जाना चाहिए और हो सके तो 2 गज की दूरी भी अपनाये तो ज्यादा सुरक्षित रहोगे I

तिरूपति बालाजी टोल फ्री नम्बर | TTD Toll Free Number | Tirupati trip Helpline Number

 1800 425 4141

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बद्रीनाथ धाम की यात्रा कब और कैसे करे | Badrinath kaise Jaye

नमस्कार दोस्तों यात्रा99 में आपका स्वागत है. आज हम आपको अपने आर्टिकल में बताने वाले है की बद्रीनाथ कैसे पहुंचे. अगर आप बद्रीनाथ की यात्रा करने की सोच रहे है तो आज की पोस्ट आपके बहुत काम आ सकती है. आज हम आपको बतायंगे कि आप किस तरह बदरीनाथ धाम की यात्रा करें, कब और कैसे करे, बद्रीनाथ कब जाना चाहिए, यात्रा में खर्चा कितना होने वाला है और वहाँ पर रहने खाने की क्या व्यवस्था रहेगी।

तो आपको हम इन सारे सवालों के जवाब देने वाले है की आपको कब और क्या करना चाहिये।

बद्रीनाथ के कपाट कब खुलेंगे | Badrinath Dham Opening Date

सबसे पहले आपको बता दे की 2023 में बद्रीनाथ धाम के कपाट 27 अप्रैल 2023 को सुबह at 7:10 को खोले जायंगे है । जैसा की आप जनाते हैं कि यहाँ बहुत दूर-दूर से सभी जगह से श्रद्धालु दर्शन करने आते है। यहाँ पर भारत के ही नही बल्कि बाहर से भी विदेशी लोग दर्शन करने के लिये आते है। बद्रीनाथ आने के लिए सबसे पहले हरिद्वार आना होता है क्योकिं हरिद्वार सभी मुख्य परिवहनो के मार्ग से जुड़ा हुआ है। या फिर आप योग नगरी ऋषिकेश में भी आ सकते हैं ।

हरिद्वार से बद्रीनाथ कैसे जाएं | Haridwar to Badrinath Distance | बद्रीनाथ यात्रा कैसे करे

अब आपको हम बताते है की हरिद्वार से बद्रीनाथ जाने का सबसे सस्ता रस्ता कौन सा होगा। अगर आप हरिद्वार में सुबह के बाद आते है तो आपको उसी दिन बद्रीनाथ जाने के लिए कोई भी बस नही मिलेगी . हरिद्वार से बद्रीनाथ की यात्रा 316 किलोमीटर के आसपास का हैं ।और योग नगरी,ऋषिकेश से बद्रीनाथ के लिये 290 किलोमीटर का रस्ता है। इसके आलावा अगर आप हवाई जहाज से यात्रा करना चाहते है तो इसके लिये आपको आना होगा देहरादून के एअरपोर्ट में, देहरादून एअरपोर्ट पहुचने के बाद रास्ते का सफर ही करना होगा।

हरिद्वार से बद्रीनाथ का किराया | Haridwar Se Badrinath Kaise Jaye | बद्रीनाथ जाने का रास्ता

लेकिन हम आपको बता दे की आप हो सके तो ट्रेन के द्वारा ही हरिद्वार पहुचें । हरिद्वार से बद्रीनाथ जाने के लिये 2 तरीके है। सबसे सस्ता और अच्छा तरीका बस से है हरिद्वार से बहुत सारी बस बद्रीनाथ के लिए चलती है। जब आप हरिद्वार रेलवे स्टेशन पहुचते है तो रेलवे स्टेशन के बाहर ही बहुत सारे टिकट एजेन्सी बनी हूई है। जहा से आप अपना हरिद्वार से बद्रीनाथ के लिये टिकट ले सकते है। और इसके अलावा आप हरिद्वार बस स्टेशन भी जाकर बस का टिकट ले सकते है। बस से बद्रीनाथ का किराया जो गोवेर्ंमेंट बस चलती है उनका किराया 550-600 रुपय तक का है।

Badrinath_Temple_Yatra_Kaise_Kare

इसके आलवा अगर आप किसी थर्ड पार्टी से ऐडवांस बूकिंग करते है जैसे red bus या make my trip से भी कर सकते है लेकिन आपकों इसमे 100 रुपय से 200 रुपये ज्यदा चुकाने पड़ते है। बस आपका इसमें फायदा ये होगा की आपकों अपनी मन पसंद की सीट मिल जाती है।
इसके अलावा अगर आपको हरिद्वार से डायरेक्ट बस बद्रीनाथ के लिये नही मिलती, तो इसके लिये आपको जोशीमठ जाना होगा ।

क्योकिं बद्रीनाथ के लिए शाम को कोई भी बस नही मिलती है। क्योंकि बद्रीनाथ का रस्ता बहुत ही खतरनाक है इसलिए कोई भी वाहन को शाम के लिये रोक दी जाती है। कोई भी वाहन को शाम को जोशी मठ के आगे जाने नही दिया जाता है। इसलिए आप हरिद्वार से जोशीमठ बस के द्वारा चले जाईए।

फिर दुसरे दिन सुबह-सुबह वहा पर बहुत सारी टैक्सी चलती है और 100 रुपय का किराया लेती है। जिससे आप बद्रीनाथ तक जा सकते है।
अगर आप देहरादून हवाई जहाज से आये है तो देहरादून पहुचने के बाद भी देहरादून से सुबह 4 बजे से 7 बजे तक 3 से 4 बसें बद्रीनाथ के लिये चलती है।

प्राइवेट टैक्सी से यात्रा | Haridwar to Badrinath Taxi | बद्रीनाथ कैसे पहुंचे

यह ऑप्शन है की आप हरिद्वार ऋषिकेश से पहुचने पर प्राइवेट टैक्सी कर सकते हैं । बद्रीनाथ तक जाने के लिये प्राइवेट टैक्सी वाले आपसे 8000 से 10,000 रुपय तक ले सकते है। ये आपको राउंड ट्रिप में ही बद्रीनाथ यात्रा के दर्शन कराते हैं । पहले दिन ये आपको बद्रीनाथ धाम लेकर जाएंगे , पहलें आप बद्रीनाथ जी के दर्शन कर लीजिये । फिर दुसरे दिन ही आप माणा गाँव और आसपास के जगह में घूम लीजिए ।
और शाम तक ये आपकों हरिद्वार वापस ले कर आ जाएंगे।

बद्रीनाथ की चढ़ाई कितनी है

आपको बता दें कि बद्रीनाथ लगभग 3,100 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. उत्तराखंड के हिमालयी गढ़वाल क्षेत्र में बद्रीनाथ शहर में स्थित यह मंदिर समुद्र तल से कुल 10200 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। और बद्रीनाथ मंदिर के ठीक सामने ही भव्य नीलकंठ की चोटी है। यह मंदिर जोशीमठ से लगभग 45 किमी दूर स्थित है, जो कि एक बेस कैम्प भी है।

बद्रीनाथ में रुकने की व्यवस्था | Badrinath Dham Hotels

बद्रीनाथ में आप 3 तरीके से रुक सकते है।

  1. सबसे सस्ता ऑप्शन ये हैं की वहा पर बहुत सारे आश्रम बने हुए है जहा पर आपकों 200 रुपय से 300 रुपय तक रात को रुकने के लिये रुम मिल जाते है।
  2. यहा पर GMVM का यात्री निवास बना हुआ है और एक होटल देव लोक भी बना हुआ है। अगर आप यात्री निवास में रुकते है तो आपकों मात्र 300 रुपय में डोरमेट्री उप्लब्ध मिलेगा। और अगर आप होटल देवलोक में रुकते है तो आपको यहा पर सेमी डीलक्स और डीलक्स रुम मिल जाता है। सेमी डीलक्स का किराया 3800 रुपय है और डीलक्स रुम का 4800 रुपय है। और अगर आप यहा रुकते है तो आपकों यहा नाश्ता,लंच और डिनर सब मिलता है।
  3. और यदि आप यात्री निवास में रुकते है तो आपको यहा पर सिर्फ 300 रुपय में डोरमेट्री ही मिलती है ।
  4. इसकी बूकिंग आप वहा पर जाकर भी कर सकते है और अगर आप अपनी बूकिंग पहले ही ऑनलाइन कराना चाहते है तो WWW.GMVNONLINE.COM पर जाकर कर सकते है।

इसके आलावा बद्रीनाथ पर भी बहुत सारे होटल बने हुए है। अगर आप पीक सीजन में जाते है तो आपको यहा पर 2500 से 4000 तक के रुम मिल जाते है। और अगर ऑफ़ सीजन में जाते है तो आपको 800 से लेकर 1500 तक के बीच में रुम मिल जाते है।

बद्रीनाथ यात्रा के लिये सही समय क्या है | Badrinath Ki Yatra Jane Ka Samay | Best Timing for Badrinath

जैसे की आपको पता है की बद्रीनाथ मंदिर के कपाट 6 महीने के लिये खुलते है और 6 महीने के लिये बंद रहते है।

और बद्रीनाथ का मंदिर बिकुल पहाडों के बीच में बना हुआ है। और सर्दियों में यहा पर तापमान बिल्कुल गिर जाता है और बहुत बर्फबारी होती है। बद्रीनाथ के कपाट अप्रैल से मई के महिने में अक्षय तृतीया में खुलते है। और अक्टूबर और नवंबर के महीने में कार्तिक पूर्णिमा में बंद कर दिए जाते है। बस 6 महीने में बद्रीनाथ की यात्रा चलती है। बद्रीनाथ की यात्रा करने के लिये सबसे अच्छा समय होता है सितंबर और अक्टूबर के महिने का। क्योकि इस समय बहुत कम भीड होती है और आप बहुत कम पैसो में बद्रीनाथ की यात्रा कर सकते है।
बद्रीनाथ का जो पीक सीजन होता है वो मई ओर जून का होता है। क्योकिं बहुत से भक्त बद्रीनाथ के दर्शन के लिये मई और जून में ही जाते है।

और जुलाई और अगस्त के महिने में यात्रा करने से बचना चाहिये क्योकिं ये मानसून का महीना होता है और पहाड़ों में बरसात होने से भूस्खलन होने की ज्यादा संभावना होती है। और 3 या 4 दिन का जाम भी लग जाता है इसलिए आपको इन महिनो में यात्रा नही करनी चाहिये।

बद्रीनाथ यात्रा में रहने के लिये कितने दिन का प्लान बनाना चाहिये | Badrinath Yatra in Hindi

यहा पर आपके पास 2 ऑप्शन है अगर आप बस के द्वारा जा रहे है तो आपको बद्रीनाथ के लिये 2 रात का नाइट स्टे बनाना पड़ेगा।
क्योकि अगर बस से जाएंगे तो बस से पहले ही दिन आपको 10 से 12 घंटे लग जाएंगे और शाम तक ही आप पहुचेंगे तो आप बद्रीनाथ के दर्शन करेंगे। और वहा भी बहुत सी जगह है जहा आपको घुमना होता है जिसे हम आपको आगे बतायेंगे।

और अगर आप अपने प्राइवेट गाड़ी से बद्रीनाथ की यात्रा कर रहे है तो आपको इसके लिये 1 दिन का नाइट स्टे ही बनाना पड़ेगा।
अगर आप अपने गाड़ी से जाते है तो आप पहले ही दिन पहुच जाते है बद्रीनाथ के दर्शन करते है।
दुसरे दिन सुबह उठ जाते है और बद्रीनाथ के पास वाले जगह में घूमते है और उसी शाम आप अपने गाड़ी में वापस आ जाते है।

बद्रीनाथ मे खाने-पीने की व्यवस्था क्या है |

बद्रीनाथ में आपको खाने पीने की कोई भी दिक्कत होने वाली नही है यहा पर भी आपको थाल सिस्टम देखने को मिल जाता है।
100 से लेकर 150 तक की थाली का खाना आपको मिल जाएगा। और आपको यहा पर साउथ इंडियन खाना खाने को भी मिल जाएगा।

बद्रीनाथ धाम के दर्शन कैसे करे | Badrinath Dham Darshan Kaise Kare

दोस्तों जब आप बस स्टॉप से उतरते है तो मात्र 500 की दुरी पर बद्रीनाथ का मंदिर बना हुआ हैं आप मंदिर पहुँच जाए।
मंदिर परिसर में ही जल कुंड बना है आप चाहे तो वहा पर नहा भी सकते हैं । इसके बाद आप मंदिर में जाकर लाईन में लग जाए।
अगर आप मई और जून के महीने में दर्शन करने जा रहे है तो आपकों दर्शन करने के लिये 3 से 4 घंटे लाईन में लगना पड़ता है ।
और अगर आप ऑफ़ सीजन में जा रहे है तो आपको दर्शन के लिए आधे घंटे से 1 घंटा ही लगता हैं ।

इसके सामने ही बद्री विशाल विराजमान है उनके दर्शन करिये और वापस आ जाईए। इसके बाद आपको जाना है ब्रहम कपाल ।

ब्रहम कपाल वही जगह है जहा पर लोग अपने पूर्वजों के पिण्ड दान करते हैं ।

बद्रीनाथ मन्दिर के आस पास दर्शनीय स्थल | Badrinath Temple Famous Places

बद्रीनाथ के 1 किलोमीटर की दुरी पर ही है भारत का आखिरी सीमान्तर माणा गाँव पड़ता है । माणा गाँव जाने पर आप यहा 3 या 4 जगह घूम सकते हैं आपको वहा पर व्यास गुफा देख सकते है वहा पर दर्शन करने चले जाए। यही में गणेश गुफा भी है वहा भी दर्शन कर सकते हैं ।
और यही से बोला जाता हैं की पांडव स्वर्ग जा रहे थे और भीम ने एक रास्ते में शिला डाल कर नये पूल का निर्माण किया था। तो आप वहा पर जाकर भी शिला देख सकते हैं । यही पर सरस्वती माता का मंदिर भी बना है और यही पर आपको भारत की आखिरी चाय भी पीने को मिल जाएगी। इन सब जगह घूमने में आपको ज्यादा समय नही लगने वाला हैं । 1 से डेढ़ घंटे में ही आप ये सब जगह घूम सकते हैं ।

बद्रीनाथ के लिये E-PASS की आवश्यकता | Badrinath Dham E Pass

दोस्तों आप कोई भी चार धाम की यात्रा करते है तो आपकों E-PASS बनाना अनिवार्य है।
इस्के लिये आप devasthanam.uk.gov.in की वेबसाइट पर जाकर भी अपना पंजीकरण करा सकते है।

बद्रीनाथ में ध्यान देने योग्य बातें | Badrinath Dham Travel Guide

दोस्तों अगर आप बद्रीनाथ की यात्रा कर रहे हैं तो आप पैकिंग करते समय रेनकोट और थोड़े गर्म कपड़े भी लेकर जाए।
क्योकिं आप को हमने बताया की बद्रीनाथ पहाडों में है तो मौसम कभी भी बदल जाता है और ऐसे में आपको अपनी पूरी तैयारी कर लेनी है।

और जाने से पहले एक बार आपने डॉक्टर से परामर्श जरुर करे, अगर आप किसी भी तरह की दवाईयों का सेवन करते है ।

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केदारनाथ यात्रा कैसे करे | Kedarnath Temple Yatra Kaise Karen

नमस्कार दोस्तों, यात्रा 99 में आपका स्वागत है. हमेशा की तरह आज भी हम आपके लिए एक और शानदार धार्मिक यात्रा की जानकारी लेकर आये हैं. आज की पोस्ट “केदारनाथ यात्रा कैसे करे | Kedarnath Temple Yatra Kaise Kare” में हम आपको उत्तराखंड के विश्विख्यात धार्मिक मंदिर केदारनाथ की यात्रा की जानकरी लेकर आये हैं. जैसे की आपको पता ही है की हर साल कई लोग केदारनाथ की यात्रा पर जाते है और अगर आप भी इस साल केदारनाथ की यात्रा पर जाने वाले है और इस यात्रा की प्लानिंग कर रहे है तो हम आपको अपने इस आर्टिकल में बताने वाले है की आप किस तरीके से केदारनाथ यात्रा पर जा सकते है और यात्रा पर जाने का कौन सा समय सही रहेगा , केदारनाथ पर रुकने और खाने पीने की क्या व्यवस्था है, केदारनाथ के यात्रा में कितना समय लगता है और केदारनाथ यात्रा में कितना खर्च आता है।

केदारनाथ यात्रा केदारनाथ यात्रा के कपाट कब खुलते हैं | Kedarnath Yatra Opening Date 2023

हमारा देश एक धार्मिक देश है. भगवान् पर लोगों का अटूट विश्वास है. इसीलिए हमारे देश में धार्मिक यात्रा का भी बहुत महत्व है. हर साल करोड़ों लोग धार्मिक यात्राएं करते हैं. और सबके मन में यात्रा को लेकर एक सवाल जरुर होता है की किसी भी धार्मिक मंदिर की शुरुवात कम होती है. लोग अक्सर ऐसे प्रश्नों के जवाब खोजते रहते हैं जैसे केदारनाथ यात्रा केदारनाथ यात्रा के कपाट कब खुलते हैं | Kedarnath Yatra Opening Date 2023, केदारनाथ यात्रा कब तक खुलंगे, आदि.


तो आपको बता दें कि केदारनाथ मंदिर के कपाट वर्ष के मई महीने में खोले जाते हैं. इस वर्ष 2023 में भी 25 अप्रैल को सुबह 6 बजे के आसपास शुभ मुहूर्त पर खुल चुका है।

केदारनाथ यात्रा पर कैसे जाए | Kedarnath Yatra Kaise Jaye | Haridwar to Kedarnath Distance

केदारनाथ यात्रा की शूरवात होती है हरिद्वार से। क्योकिं हरिद्वार मुख्य रूप से सभी शहरों के परिवाहन मार्ग से जुड़ा हुआ है।
आप ट्रैंन, बस या फिर अपने गाड़ी से भी हरिद्वार पहुच सकते है। इसके अलावा आप देहरादून या ऋषिकेश से भी केदारनाथ की यात्रा कर सकते है। दोस्तों, हरिद्वार से आपको जाना होता है सोनप्रयाग और इसकी दुरी 235 किलोमीटर के लगभग हैं ।
आप बस के द्वारा भी सोनप्रयाग जा सकते है हरिद्वार में ही बस स्टॉप बना हुआ है जहा सुबह 5 बजे से शाम के 4 बजे तक बस चलती है।

हम आपको 2 तरीके बतायेंगे जहा से आप हरिद्वार से किस तरह सोनप्रयाग तक सफर कर सकते हैं ।

  1. जैसे ही आप हरिद्वार के रेलवे स्टेशन पहुचते है वही पर आपको बहुत सारी ऐसी ट्रैवल एजेन्सी दिखेगी, जहा से आप बस की टिकट ले सकते है।इसके आलवा आप चाहे तो सीधे बस स्टॉप से ही टिकट ले सकते है लेकिन आप बस की टिकट पहले ही ले लेते है तो आपको बस में कोई दिक्कत होने वाली नही है। कभी-कभी बहुत ज्यादा भीड होने के वजह से बस की टिकट मिलने में बहुत दिक्कत हो जाती है। इसके आलावा अगर आप बस की टिकट ऑनलाइन लेना चाहते है तो आप पहले से ही ऑनलाइन टिकट ले सकते है । कोई भी थर्ड पार्टी जैसे RED BUS, MAKE MY TRIP में जाकर आप अपने लिये टिकट ले सकते है। लेकिन यहा हम आपको बता दे की ऑनलाइन बस की टिकट आपको 400 की पड़ेगी और यही टिकट आपको ऑफ़लाइन में 100 से 200 का ज्यादा महेंगा पड़ेगा।
  1. और दुसरा तरीका है की आप हरिद्वार पहुच कर प्राइवेट टैक्सी भी ले सकते हैं । प्राइवेट टैक्सी के खर्चे की बात करे तो 10,000 से 12,000 तक का खर्चा हो सकता है। इसके आलवा अगर आपके पास खुद की गाड़ी है तो आप अपनी गाड़ी से सोनप्रयाग तक जा सकते है।

सोनप्रयाग में ही बहुत बड़ी पार्किंग बनी हूई है जहा आप अपनी गाड़ी खडी कर सकते हैं । अगर आप अपनी कार खडी करते है तो इसके लिये आपकों 100 रुपय और अगर बाइक खडी करते है तो 50 रुपय एक दिन के हिसाब से लगते हैं ।

अगर आप कम खर्च में केदारनाथ यात्रा करना चाहते हैं तो आप बस से ही यात्रा करे ।

केदारनाथ यात्रा

केदारनाथ यात्रा का समय मई से सितम्बर
Haridwar to Kedarnath Distance239 Kms
Dehradun to Kedarnath Distance254 Kms
Rishikesh to Kedarnath Distance216 Kms
Delhi to Kedarnath Distance295
Kedarnath Temperature May | Kedarnath Weather May17 डिग्री
Kedarnath to Badrinath Distance218 Kms

चार धाम यात्रा 2022 में आपकों अगर उत्तराखंड आना है या फिर जो लोग उत्तराखंड के रहने वाले है तो उनको भी चारधाम की यात्रा के लिये e-pass बनवाना अनिवार्य हो गया है । इसके लिये आप अपना e-pass ऑनलाइन बना सकते है।

केदारनाथ यात्रा का पंजीकरण कैसे करे | Kedarnath Yatra Registration

अगर आप केदारनाथ की यात्रा पर जाना जाते है तो आपको पहले पंजीकरण करना पड़ेगा।
इसके लिये आपको चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड की वेबसाइट devasthanam.uk.gov.in पर जाकर पंजीकरण कर सकते हैं ।

केदारनाथ यात्रा कब करनी चाहिये | Best Time to Visit Kedarnath | Kedarnath Temple Yatra Kab Kare

जैसे की आपको पता है दोस्तो की केदारनाथ के कपाट 6 महीने खुले और 6 महीने बंद रहते है। केदारनाथ के कपाट मई के महीने में अक्षय तृतीय में खोले जाते है और दीपावली के आसपास केदारनाथ मन्दिर के कपाट बंद कर दिए जाते है।

अगर आपको यात्रा करनी है तो आपको सबसे अच्छा सितंबर से अक्टूबर के महीने के बीच में यात्रा करनी चाहिये।
क्योकिं इस समय मौसम भी बहुत अच्छा होता है और ज्यादा गर्मी भी नही होती और ज्यादा भीड भी नही होती है।

और अगर आप मई और जून में केदारनाथ यात्रा करने चाहते है तो ये इस यात्रा के लिये ठीक सीज़न होता है और इस महिने में बहुत गर्मी और बहुत भीड भी होती है। भीड होने के कारण रुम का रेंट भी डबल से ट्रिपल हो जाता है। अगर आप मई जून में यात्रा करते हैं तो आपको रुम का किराया 3000 से 4000 के आस पास पड़ता है । और वही आप सितंबर और अक्टूबर में यात्रा करते है तो आपको यही रुम 1000 रुपय का पड़ता है।

यात्रा के लिये ध्यान देने वाली बात

दोस्तों जुलाई ओर अगस्त के महीने में यात्रा करने से बचना चाहिये कयोंकि ये समय मानसून का समय होता है और केदारनाथ मन्दिर बहुत पहाड़ी में है और ऐसे में इस महीने में कभी भी बरसात शुरु हो जाती है कभी भी भूस्खलन हो जाता है।
और इसलिए जुलाई और अगस्त में यात्रा करने से बचना चाहिये।

केदारनाथ यात्रा में रुकने की व्यवस्था | सोनप्रयाग में रुकने की क्या व्यवस्था है |

सोनप्रयाग में बहुत सारे गेस्ट हाउस, होटल और लौज बने हुए है। जहा पर आप रात को रुक सकते है। अगर आप यहा मई और जून में किसी भी गेस्ट हाउस, होटल और लौज के रुम में रुकते है तो रुम का किराया 3000 से 5000 तक भी हो जाता है।

और अगर आप ऑफ़ सीज़न यात्रा करना चाहतें हैं यानी सितंबर और अक्टूबर में यात्रा करना चाहतें हैं तो यही रुम का किराया 1000 से 1500 तक भी हो जाता है।

दोस्तों अगर आप कम खर्च में सोनप्रयाग में रुकना चाहतें हैं तो सोनप्रयाग में ये भी उप्लब्ध है। यहा आपको 350 रुपय में भी नाइट स्टे करने को मिल जाते है। और यही सितंबर और अक्टूबर में आपको ये 100 से लेकर 150 में मिल जाएगी।

हरिद्वार से सुबह आप निकलेंगे तो शाम को सोनप्रयाग अपने बजट के अनुसार पहुच जाएंगे ।

जब आप सोनप्रयाग पहुच कर वहा रात को रुम में रुकते है तो आपको दुसरे सुबह ही 3 से 4 बजे ही उठ जाना होता है क्योकिं आपको यहा से गौरी कुंड जाना होता है।

गौरी कुंड तक जाने के लिये आपको वही से सूमो, सफ़ारी टाइप की गाड़ी मिल जाती है। जो आपसे 30 रुपय/व्यक्ति सवारी लेती है जो आपको गौरी कुंड तक छोड देती है । सोनप्रयाग से गौरी कुंड के बीच का रस्ता 5 किलोमीटर के आसपास है। लेकिन आपको इन गाड़ी के लिये बहुत लंबी-लंबी लाईन लगानी पड़ सकती है।

इसके आलवा सोनप्रयाग से केदारनाथ के लिये घोड़े और ख्चर भी मिल जाते है।

गौरी कुंड पहुचने पर ही आपको वहा पर गौरी माता का मन्दिर दिखेगा। जहा आपको उनके दर्शन कर लेने है। यही पर गौरी कुंड भी है जहा का पानी हमेशा आपको गर्म ही मिलेगा।

यही से केदारनाथ यात्रा के लिये पैदल यात्रा शुरु होती है। जो लोग पैदल यात्रा नही कर सकते हैं उनके लिये ही घोड़े और ख्चर की सुविधा भी उपलब्ध हैं । जिसके लिये आपकों 2300 रुपय देना होगा। और अगर आप पालकी में जाना चाहतें हैं तो आपको इसके लिए 5000 से 6000 रुपय देने होते है। और अगर आप ऑफ़ सीजन में जाते है तो यही घोड़े ख्चर के दाम कम हो जाते है। परंतु ये 2300 रुपय गोवेर्ंमेंट के तरफ़ से तय किये गये हैं ।

केदारनाथ की चढ़ाई में कितना समय लगता है | Kedarnath Yatra Distance Timing

अगर आप पैदल यात्रा कर रहे हैं तो वहा पर बहुत से दुकानें हैं जहा से आपकों एक लाठी ले लेनी है जिससे आपकों पैदल यात्रा करने में आसानी हो जाती है। किसी भी दुकान से ये लाठी आपको 30 रुपय में मिल जाती है। गौरी कुंड से केदारनाथ मन्दिर की दुरी लगभग 16 किलोमीटर के आसपास का है। और अगर आप पैदल यात्रा करते है तो यही दुरी आपको ज्यादा लगेगी जैसे 20 से 21 किलोमीटर ।
क्योंकि जो पुराना रस्ता था वो 16 किलोमीटर के आसपास का था लेकिन 2013 में जो आपदा आयी थी जिससे ये रस्ता खत्म हो गया था और अब जो नया रस्ता बना है वो 20 से 21 किलोमीटर के लगभग है।

केदारनाथ हेलीकॉप्टर बुकिंग 2023 | Kedarnath Helicopter Booking

अगर आप हेलीकाप्टर से यात्रा करना चाहते हैं तो इसके लिये आपको सोनप्रयाग जाने की जरूरत नही है इसके लिये सोनप्रयाग से 15 किलोमीटर पहले एक जगह पड़ती है फाटा । फाटा से ही हेलीकाप्टर की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। अगर आप ऑन सीज़न पर ये यात्रा कर रहे हैं तो आपको अपनी टिकट ऑनलाइन ही बुक कर लेनी है। वैसे फाटा में ही ऑफ़ लाईन ही टिकट बुक हो जाते है। वही पर टिकट काउंटर बना हुआ है।

अगर आप हेलीकाप्टर से यात्रा कर रहे हैं तो इसका टिकट 6000 राउंड ट्रिप के हिसाब से देना होगा। 6000 रुपय में आप केदारनाथ जाएंगे और दर्शन करेंगे फिर आप केदारनाथ से ही हेलीकाप्टर में वापस फाटा आ जाते है।

गौरी कुंड से पैदल यात्रा | Kedarnath Gorikund Paidal Yatra

अगर आप गौरी कुंड से पैदल यात्रा कर रहे हैं तो बीच सफर में ही आपकों बहुत सारे झरने देखने को मिलते है। एक तरफ से आपकों मन्दाकिनी नदी बहती नजर आयेगी। और दुसरी तरफ आप पैदल यात्रा कर सकते हैं । पैदल यात्रा करते हुए ही आपकों रास्ते में खाने पीने की कोई भी दिक्कत नही होती है। क्योंकि रास्ते में ही आपको बहुत सारे दुकानें मिल जाती हैं । जहा आपको परांठा, मैगी और फल मिल जाएंगे।
इसके आलवा आपको जगह-जगह में बाथरूम भी मिल जाएंगे।

दोस्तो अब इसके बाद आप पहुच जाते है बेस केम्प, जहा सारे भक्तों के लिये रुकने और खाने पीने के लिये आश्रय बनाया गया है।

अब यही से केदारनाथ की दुरी मात्र 1 किलोमीटर की रह जाती है। बेस कैम्प- में ही बहुत सारे टेन्ट लगे हुए है जिनका किराया 400 रुपय/ व्यक्ति का देना होता है। इसके आलवा यहा पर गढवाल मंडल निगम लिमिटेड बना हुआ है जहा पर आप रुक सकते है।
यहा पर 3 गेस्ट हाउस बने हुए है । आप इन तीनों में से किसी एक रात के लिये रुक सकते है।

केदारनाथ यात्रा होटल बुकिंग 2023 | Kedarnath Yatra Hotel Room Booking Online

आप इन रुम की बूकिंग ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनो तरीके से कर सकते है। लेकिन ऑफ़ लाईन बूकिंग कराने के लिये 1 प्रतिशत भी चांस नही होता है की आपको वहा पर कोई भी रुम खाली नही मिलते है। इसलिए आप पहले से ही ऑनलाइन बूकिंग कर लीजिये ।
बूकिंग कराने के लिए आपकों गढवाल मंडल निगम लिमिटेड के वेबसाइट में जाकर बूकिंग कराना होता है।

इसके अलावा अगर आप मन्दिर के पास में ही रुकना चाहते है तो मन्दिर के पास ही बहुत सारे होटल और गेस्ट रुम बने हुए हैं ।

अगर आप बेस कैम्प में रुकते है तो आपको यहा पर खाने पीने के लिये 150 रुपय से 200 रुपय की थाली मिल जाती है।
और अगर मन्दिर के पास भी रुकते हैं तो आपको यहा भी 150 से 200 रुपय की खाने की थाली मिल जाती हैं ।

अगर आप बेस कैम्प शाम के 6 बजे पहुच जाते है तो आप अपना समान रख दीजिये और फिर आराम कर लिजिये।
और आराम करने के बाद चले जाईए केदारनाथ मन्दिर में दर्शन करने ।

केदारनाथ मंदिर दर्शन का समय | Kedarnath Temple Darshan Timing

केदारनाथ मंदिर दर्शन का समय सुबह 5 से रात 9 बजे तक है। शाम्ं को 6 बजे केदारनाथ मंदिर में आरती होती है।
आप भी आरती में जरुर जाए और केदारनाथ बाबा के दर्शन करिये। केदारनाथ बाबा के दर्शन्ं सभी भक्तों को बाहर से ही करने होते है क्योकिं शाम के 5 बजे के बाद किसी को अन्दर जाकर दर्शन करने की अनुमती नही होती। इसके लिये आप सुबह जल्दी उठिए और दर्शन करने के लिए लाईन में लगे । इसके लिये आपकों 3 से 4 घंटे भी लग जाते है। और बात करें प्रसाद की तो मंदिर के पास में ही आपकों प्रसाद चढ़ाने के लिये मिल जाता है।

यहा पर आपको 3 तरीके से प्रसाद मिल जाते है। एक 151 रुपय, 251 रुपय और 501 रुपय। आप अपने बजट अनुसार प्रसाद ले सकते है।

भीम शिला दर्शन | Kedarnath Bhimshila Darshan

केदारनाथ बाबा के दर्शन करने के बाद आप भीम शिला भी दर्शन करने जा सकते है। कहते है की जब 2013 में आपदा आयी थी तो इस शिला के वजह से ही मंदिर को कोई भी नुक्सान नही हुआ था इसलिए इसका नाम भीम शिला पड़ा। आपको इसके भी दर्शन कर लेने है।

इनके दर्शन करने के बाद आप चाहे तो भैरव बाबा के दर्शन कर सकते हैं । केदारनाथ से भैरव बाबा का रस्ता 1 किलोमीटर है तो आप पैदल भी जा सकते है। इतना करने पर आप वापस अपने बेस कैम्प में आ जाईए। इसके बाद वही केदारनाथ मंदिर से 8 किलोमीटर की दुरी पर वष्की तालाब । वहा जाकर भी आप उस झील के दर्शन कर सकते हैं । इसके लिये आपकों केदारनाथ मंदिर में 2 रात का नाइट स्टे करना पड़ेगा।

हरिद्वार दे केदारनाथ यात्रा का समय | Haridwar to Kedarnath Yatra

अगर आप केदारनाथ यात्रा का ट्रिप बना रहे हैं तो आपकों हरिद्वार को मिलाकर 5 रात का प्लान करना पड़ेगा।

पहले रात आप हरिद्वार रुकेंगे, दुसरी सोनप्रयाग, तीसरी केदारनाथ मंदिर, चौथी रात आप वापस आयेंगे और सोनप्रयाग में रुकेंगे और फिर पाँचवे दिन हरिद्वार में रुकेंगे।

दोस्तों जब आप केदारनाथ यात्रा की पैकिंग की तैयारी कर रहे हैं तो अपने साथ हमेशा रेनकोट और वूलन कपड़े जरुर रखे क्योकिं केदारनाथ यात्रा में कभी भी बारिश और कभी ठंड पड़ जाती है।

केदारनाथ से बद्रीनाथ कैसे जाएं | Kedarnath Se Badrinath Kaise Jaye

कुछ भक्त केदारनाथ के साथ साथ बद्रीनाथ जी के भी दर्शन करना चाहते होंगे. तो आपको बता दें कि केदारनाथ जी से बद्रीनाथ जी की दूरी लगभग 245 किलोमीटर के आसपास है। कुल दूरी में केदारनाथ मंदिर से गौरीकुंड का 18 किलोमीटर का पैदल रास्ता भी शामिल है। और गौरीकुंड से 5 किलोमीटर की दूरी पर सोनप्रयाग है. यहाँ वाहनों की पार्किंग होती है। सोनप्रयाग से बद्रीनाथ जी की सड़क मार्ग से दूरी तय करने में लगभग 7 से 8 घंटे लग जाते है।

आपको यह भी पता होना चाहिए कि केदारनाथ से बद्रीनाथ जाने के दो सड़क मार्ग हैं। केदारनाथ से बद्रीनाथ धाम जाने के लिए आप केदारनाथ के पास फाटा, गुप्तकाशी या सिरसी हेलिपैड से हेलीकाप्टर भी बुक कर सकते हैं ।

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श्री कृष्ण के पावन जन्मभूमि मथुरा की यात्रा | Mathura Tourist Places in Hindi

जय श्री राम मित्रो | यात्रा 99 में आपका स्वागत है | आज की पोस्ट में हम आपको भगवान् श्री कृष्णा की जन्मभूमि मथुरा नगरी की यात्रा (Mathura Tourist Places in Hindi) की जानकारी देने जा रहे हैं | जैसा की आप जानते हैं की हम सब भारतवासी को जो एक दूसरे को बांधे कर रखता है | जो हमें मानवता का एहसास दिलाता है | जो एक मनुष्य के प्रति दूसरे मनुष्य के लिये सदभावना रखता हैं | जो हमे एक धर्म में रहकर मानवता की सीख देता है | वो है हिन्दू धर्म । और सब भारतीय वासी हिन्दू धर्म में भगवान को माना जाता है, उनकी पूजा की जाती है, उनके नाम का जाप किया जाता है | ताकि हमें मनुष्य के रूप से शांति से मोक्ष मिल सके।इसके लिये लोग भगवान के दर्शन करने उनके दरबार में जाते हैं । हमारे भारत  में  बहुत से ऐसी जगह हैं जहाँ लोग भगवान के दर्शन करने जाते है और वो है श्री कृष्ण की जन्मभूमि मथुरा । आज हम आपको बतायेंगे की लोग क्यों मथुरा जाते हैं श्री कृष्णा के दर्शन के लिये। मथुरा जाने का सही समय (Mathura Temperature), मथुरा के आस पास देखे जाने वाले पौराणिक स्थल (Mathura Temples) आदि |

यात्रा का इतिहास | Mathura History in Hindi

उत्तर प्रदेश में यमुना नदी के किनारे बसी भगवान श्री कृष्ण की जन्मभूमि मथुरा की गणना मोक्ष देने वाली सात पीढ़ियों में करी गयी है | भगवान विष्णु ने इसे अपना सर्वाधिक प्रिय क्षेत्र बताया है | जिस प्रकार काशी में प्रमुख रूप से शिव की पूजा होती है | उसी प्रकार मथुरा भी विष्णु का पूजनीय स्थल है |  मथुरा के निकट ही मधुवन में पहले असु, मधु और लवण का शासन था | इसी मधू के नाम पर मधुर या मधुर्पूर या मधुवन नगरी बसी । ऐसा कहा जाता है की तीर्थ स्थल पर किया पाप अमृत होता है, परंतु इसके विपरीत ही मथुरा में किया पाप मथुरा में ही नष्ट हो जाता है और यही इस तीर्थ स्थल की महानता है ।

इस संबंध में निम्न दो कथायें प्रसिध्द है, मथुरा के निकट मधूवन में पहले असुर, मधू और लवण का शासन था | आसपास के क्षेत्र में इनका भारी उत्पात था | भगवान राम के छोटे भ्राता शत्रुघ्न ने लवण को मारकर इस नगरी को असुरों से मुक्त कराया । पुराणों में विधिवंस के इतिहास के अनुसार अन्धक की वंश्जा देवकी और विष्णु के वंशज वासुदेव से जिनका पुत्र हुआ वो नारायण के अवतार भगवान श्री कृष्ण थे | तथा इसीलिए इसे श्री कृष्ण के जन्मभूमि माना जाता है | मनु के पौत्र ध्रुव का जन्म इसी स्थल पर भगवत साक्षात्कार का तप करके हुआ था | मथुरा एक प्राचीन नगर है और इसकी मान्यताएं भी प्राचीन है आज भी यहाँ के घर और मंदिर प्राचीन सभ्यता से प्रेरित है |पर  वर्तमान में आधुनिकता के प्रभाव भी इस नगर में पड़ने लगा है मथुरा के द्वारिकाधीश मंदिर यमुनाघाट के समीप संकरे गलियों में मिष्ठान्न की दुकानें प्रसिध्द है। 

निधिवन का रहस्य क्या है | Mathura Nidhivan Information Hindi

भले ही बहुत से लोग मथुरा नही गये होंगे परंतु उन्होनें यहाँ के निधिवन के बारे में तो जरुर सुना ही होगा । निधिवन के अन्दर रंगमहल भी है | दावा होता है की हर सुबह रंगमहल को खोला जाता है तो वहाँ श्री कृष्ण के मौजूदगी के निशान मिलते हैं | दातुन, लडू, पान और एक लौठा पानी जिसे रंगमहल के अन्दर सात तालों के अन्दर बन्द कर दिया जाता है | मगर सुबह सब कुछ  बदला रहता है | दातुन चबा हुवा, लडू टूटे हूई, पान चबाय हुआ ,पानी भरा हुआ लौठा गिरा हुआ मिलता है | सौलह सिंगार में चूडि बिन्दिया सब बिखरी हुवी मिलती है ।

ऐसा माना जाता है की निधिवन के रहस्य को लेकर वहाँ के लोग सब जागरुक है, इसलिये शाम होते ही सब लोग अपने घर चले जाते है | यहाँ तक की वहाँ पर एक परिंदा तक भी नही बैठता उस वन में | आसपास के लोग शाम के वक़्त अपने खिडक़ी दरवाजे सब बन्द कर देते है ताकि उनकी नजर गलती से भी उस वन में ना पड़े। क्युकि ऐसा बोला जाता है की उस निधिवन में श्री कृष्ण अपनी गोपियों के संग रात को रास लीला रचाते हैं ।और आज तक उनके इस रास लीला को देखने के लिये रात को जो भी  चोरी छुपे रुका है वे सब सुबह अपनी सुद्बूध खो बैठता है और 2 या 4 दिन में ही मुस्कुरा कर अपने प्राण त्याग देता है। 

मथुरा यात्रा करने ने का सही समय | Mathura Weather for Travel | Mathura Weather

अगर आप भी श्री कृष्ण के दर्शन करना चाहते है सोच रहे है की किस समय अच्छा रहेगा मथुरा जाना तो हम आपको बता दे की मथुरा जाने का सही समय है फरवरी-मार्च और सितंबर-नवंबर के बीच होता है इस समय आपको ज्यादा गर्मी और कडाके ठंड को झेलना नही पड़ेगा। 

यात्रा में जाने के लिये स्वास्थ्य का ध्यान ?

यात्रा में जाने से पहले आप ये जरुर ध्यान रखे की अगर आप किसी भी तरह की दवाईया खाते है तो यात्रा में जाने से पहले अपने चिकित्सक से सलाह जरुर करे।और साथ में दवाईया लेकर जाये। 

यात्रा के लिये सबसे अच्छा मार्ग?

श्री कृष्ण की जन्मभूमि मंदिर मथुरा शहर के बीचों –बीच में स्थित है यह मथुरा जंक्शन रेलवे स्टेशन से सिर्फ 4 किमी के दूरी पर है मथुरा आप बस, कार या रिक्शा के जरिये आसानी से पहुँचा जा सकता है। 

मथुरा में जाने के लिये होटल/धर्मशाला/होम स्टे | Mathura Hotels

आपको मथुरा में रहने के लिये 800 से 1200 रुपय प्रति दिन के लिये कमरा मिल जाएगा परंतु अगर आप जाने से पहले बुक कर लेते है तो आपको कमरा निश्चित हो जाएगा। 

मथुरा में आस पास के पर्यटन स्थल | Mathura Tourist Places in Hindi | Mathura Temple

मथुरा में आपको भगवान के दर्शन उनसे जुड़ी आस्था और धर्म का अनोखा संगम देखने को मिलेगा।अगर आप मथुरा जायें तो अपने सुविधा के अनुसार इन जगह पर भी घुमने जायें ।

1. कृष्ण जन्मभूमि मंदिर

2. द्वारकदीश मंदिर

3. गोवर्धन पर्वत

4. बाँके बिहारी मंदिर

5. कुसुम सरोवर

6. मथुरा संग्रहालय 

7. विश्राम घाट 

8. बिड़ला मंदिर

9. कंस किला

10. जय गुरुदेव मंदिर

11. पोटारा कुंड 

12. राधा कुंड

13. रंग भूमि 


मथुरा यात्रा की तैयारी  कैसे करे | Mathura Yatra Ki Taiyari Kaise Kare

यात्रा करने के लिये आपको 2 या 4 दिन का समय लग भी सकता है | इसके लिये आपको अपने साथ वो सभी जरुरत की चीजें लेकर जाना पड़ेगा | जो आपको रोज चाहिये होता है | आप अपने सुविधा अनुसार ट्रिप तय कर सकते है | अगर आप खुद के वाहन से जाना चाहते है तो बहुत अच्छा है परंतु आपके पास खुद का वाहन नही है तो आप यात्रा पर सुविधा अनुसार रिक्शा,आटो आदि की मदद ले सकते हो।


मथुरा यात्रा ऑनलाइन पंजीकरण | Mathura Yatra Online Registration

अगर आप भी श्री कृष्ण के दर्शन करना चाहते हो तो कोरोना के चलते आपको भी नियमों का पालन करना पड़ेगा । और ऑनलाइन पंजीकरण करना अनिवार्य होगा। इसके साथ ही आपको करोना का टीकाकरण करना अनिवार्य होगा और आपको सभी नियमों का पालन भी करना होगा।तथा मास्क और सेनिटाइज़र भी साथ लेकर जाये और जहाँ ज्यादा भीड़ हो वहाँ से दूरी बनाये रखे। 

यात्रा के दौरान सावधानियाँ | Mathura Yatra Alert

यात्रा के दौरान अपनी चीज़ो का ध्यान रखे और किसी भी अंजान व्यक्ति से किसी भी तरह की चीजें ना ले।और हो सके तो अपने समान की खुद ही जिम्मेदारी ले किसी के भरोसे ना रहे।

निष्कर्ष

मित्रों आज हमने आपको श्री कृष्णा जी की जन्मभूमि मथुरा की यात्रा के सम्बन्ध में बताया है | आशा करते हैं की आपको हमारी ये रोचक जानकारी जरुर पसंद आई होगी | अगर आपके मन में अभी भी कोई सवाल हो तो हमें जरुर लिखें | और इस पोस्ट को अपने मित्रो के साथ सोशल मीडिया पर जरुर शेयर करें |

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जय श्री राम

FAQ

1. मथुरा से महत्वपूर्ण स्थलों की दूरी | mathura to vrindavan distance

स्थान दूरी समय
वृन्दावन (Mathura Vrindavan)
Mathura to Vrindavan Distance
15.1 km via NH19/NH 4427 min
दिल्ली से मथुरा
Delhi to Mathura Distance
183.0 km via Yamuna Expy3 hr 18 min 
आगरा से मथुरा की दूरी
Agra to Mathura Distance
 56.7 km via NH19/NH 441 hr 17 min
जयपुर से मथुरा की दूरी
Jaipur to Mathura Distance
222.1 km via NH214 hr 14 min 

2. Mathura PIN Code

281001

हिमाचल प्रदेश में घूमने की जगह | Himachal Pradesh Tourism

हिमाचल प्रदेश भारत का एक प्रमुख पर्यटक स्थल और पर्वतीय राज्य है यहां की खूबसूरत वादियां और पहाड़ आपके मन को मोह लेंगे यही कारण है कि यहां पर लाखों की संख्या में पर्यटक अपने परिवार के साथ घूमने के लिए आते हैं हिमाचल प्रदेश का इतिहास काफी पुराना और सफेद है प्राचीन काल से ही हिमाचल प्रदेश पर्यटक स्थल का केंद्र रहा है ऐसे में अगर आप भी अपने परिवार के साथ हिमाचल प्रदेश घूमने के लिए आ रहे हैं तो आपको यहां पर बेहतरीन घूमने के टूरिस्ट प्लेस मिल जाएंगे जहां पर अपने परिवार के साथ हिमाचल प्रदेश की खूबसूरती का मजा उठा सकते हैं अब आपके मन मे सवाल आएगा कि यहां पर घूमने लायक प्रमुख पर्यटक स्थल कौन है अगर आप उनके बारे में नहीं जानते हैं तो हमारे साथ इस आर्टिकल पर आखिर तक बनी रहे हैं चलिए शुरू करते हैं-

हिमाचल प्रदेश प्रमुख पर्यटक स्थल | Himachal Pradesh Tourist Places

हिमाचल प्रदेश में घूमने लायक प्रमुख पर्यटक स्थल निम्नलिखित प्रकार के हैं जिसका विवरण हम आपको नीचे बिंदु अनुसार देंगे आइए जानते हैं-

शिमला हिमाचल प्रदेश | हिमाचल प्रदेश की राजधानी | Himachal Pradesh Shimla Tourist Places


शिमला हिमाचल प्रदेश की राजधानी है और एक प्रमुख पर्यटक स्थल भी है क्योंकि यहां पर लाखों की संख्या में पर्यटक घूमने के लिए गर्मी के मौसम में आते हैं क्योंकि यहां पर गर्मी के दिनों में तापमान काफी ठंड रहता है इसलिए अगर आपको गर्मी के दिनों में गर्मी से राहत पानी है तो आप अपने परिवार के साथ हिमाचल प्रदेश के शिमला में घूमने के लिए आ सकते हैं इसके अलावा शीतकाल में यहां पर आने का कुछ और ही मजा है क्योंकि यहां पर शीतकाल में बर्फ की वर्षा होती है जिसका नजारा ही कुछ और होता है I शिमला ब्रिटिश शासन काल में भारत का ग्रीष्मकालीन राजधानी हुआ करता था यहां पर ब्रिटिश सरकार के कई ऑफिसर गर्मी के दिनों में अपने परिवार के साथ छुट्टियां मनाने के लिए आते थे शिमला में घूमने लायक और भी पर्यटक स्थल है जिसका भी प्रणाम आपको नीचे बिंदु अनुसार देंगे आइए जानते हैं-

जाखू हिल, शिमला
● कालका, शिमला
● सोलन, शिमला
● क्राइस्ट चर्च, शिमला
● समर हिल, शिमला
● चैल हिल स्टेशन, शिमला
● अर्की किला, शिमला
● नालदेहरा, शिमला

मनाली यात्रा हिमाचल प्रदेश | Manali Himachal Pradesh Tourist Places | Kullu Manali Tourism

अगर आप अपने पत्नी के साथ हिल स्टेशन जाने का प्रोग्राम बना रहे हैं तो आप हिमाचल प्रदेश के मनाली जा सकते हैं क्योंकि मनाली एक प्रमुख हिल स्टेशन है यहां पर प्रति वर्ष लाखों की संख्या में नवविवाहित जोड़ा हनीमून मनाने के लिए आता है क्योंकि यहां की खूबसूरती और प्राकृतिक नजारा आपके मन को बागबाग कर देंगे I

मनाली प्रकृति प्रेमी पर्यटकों और प्रेमियों के लिए स्वर्ग है। संग्रहालयों से लेकर मंदिरों तक, नदी के रोमांच से लेकर ट्रेकिंग ट्रेल्स तक, गांवों से लेकर ऊबड़-खाबड़ गलियो प्रकृतिक नजारे बैठक को आकर्षित करते हैं यहां पर बहने वाली नदियों के बहाने की आवाज और पक्षियों के चहकने ने की मधुर आवाज आपके मन को शांतिप्रिय अनुभव प्रदान करते हैं I मनाली में और भी घूमने लायक प्रमुख पर्यटक स्थल है जिसका विवरण हम आपको नीचे आएंगे आइए जानते हैं-

पार्वती घाटी
● भृगु झील
● ओल्ड मनाली
● रोहतांग दर्रा

कुल्लू घाटी किस लिए प्रसिद्ध है | Kullu Tour

कुल्लू हिमाचल प्रदेश का एक प्रमुख हिल स्टेशन है I या चारों तरफ से पर्वतीय क्षेत्रों से घिरा हुआ है और यहां के देवदार पेड़ इसकी प्रमुख विशेषता है I शादी करने वाले नवविवाहित दंपति यहां पर हनीमून करने के लिए आते हैं I 1230 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और यहां के पति की सुंदरता मनमोहक और आकर्षक है एक बार अगर आप यहां के प्राकृतिक नजारों के दर्शन कर लेते हैं तो आपको ऐसा लगेगा कि आप स्वर्ग में आ गए हैं I सबसे महत्वपूर्ण बात कि अगर आप एडवेंचर खेलों के शौकीन हैं तो यहां पर आपको विभिन्न प्रकार के एडवेंचर खेल खेलने को मिल जाएंगे जैसे- रिवर राफ्टिंग, ट्रेकिंग, पर्वतारोहण इत्यादि इसके अलावा कुल्लू में घूमने लायक और भी दूसरे पर्यटक स्थल हैं जिसका हम विवरण आपको नीचे बिंदु अनुसार देंगे तो आइए जानते हैं उनके बारे में-

  • याक सफारी
  • खीरगंगा
  • तीर्थन घाटी
  • बिजली महादेव मंदिर

डलहौजी हिल स्टेशन | Himachal Pradesh Tourist Places Dalhousie | डलहौजी की जानकारी

हिमाचल प्रदेश अगर आप अपने परिवार के साथ घूमने जाना चाहते हैं तो आप डलहौजी जरूर जाए डलहौजी छोटा सा सुंदर मनमोहक पर्यटक स्थलों में से एक है यहां भारतीय नदियां घास के मैदान फूल पहाड़ी नजरों से गिरा हुआ है यहां पर आप जब आएंगे तो आपको अंदर से महसूस होगा कि आप किसी जन्नत में आ गए हैं इसकी प्रति की सुंदरता और मनमोहक दृश्य आप एक बार आकर देख लेते हैं तो उसे भूल पाना असंभव है यहां पर घूमने लायक दूसरे और पर्यटक स्थल है जिसका हम विवरण नीचे देंगे-

डलहौजी के पास खज्जियार
● पंचपुला
● माल रोड

धर्मशाला मैक्लोडगंज | Himachal Pradesh McleodGunj Dharmshala Tourism | Mcleodganj Tourist Places

मैक्लॉडगंज हिमाचल प्रदेश का एक प्रमुख पर्यटक स्थल है इस पर्यटक स्थल की सबसे बड़ी विशेषता है कि यहां पर तिब्बत के धर्मगुरु दलाई लामा का घर है इसके अलावा यह आध्यात्मिकता का केंद्र भी है अगर आप शहर के हलचल से दूर एकांतवास में रहना पसंद करते हैं तो आप यहां पर आ सकते हैं यहां पर घूमने लायक और भी दूसरे पर्यटक स्थल है जिसका विवरण हम आपको नीचे देंगे-


● त्रिउंड
● भागसूनाथ मंदिर और झरना
● नामग्याल मठ

धर्मशाला पर्यटन स्थल | Dharamshala Places to Visit | Dharamshala Himachal Pradesh Tourism

धर्मशाला हिमाचल प्रदेश का एक प्रमुख दर्शनीय स्थल है यहां पर प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में पर्यटक घूमने के लिए आते हैं यहां के प्रति की नजारे और पहाड़िया आपके मन को मोह लेगी सबसे बड़ी बात है कि यहां पर शीतकाल में बर्फ की चादर से या पूरा क्षेत्र ढका रहता है और जब आप उस नजारे को देखेंगे तो आपको लगेगा कि आप किसी स्वर्ग में आ गए हैं I गर्मी के दिनों में अगर आप यहां पर आते हैं तो आपको ठंड का विशेष अनुभव होगा जो आपके मन को शीतलता प्रदान करेगी I धर्मशाला में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम भी है इसके अलावा धर्मशाला में घूमने लायक दूसरे पर्यटक स्थल भी हैं जिसका विवरण आपको नीचे देंगे-

त्रिउंड हिल
● नामग्याल मठ
● ज्वालामुखी देवी मंदिर
● कांगड़ा कला संग्रहालय
● कसौली –

कसौली हिल्स हिमाचल प्रदेश | Kasauli Himachal Pradesh Places to Visit

दुनिया की हलचल से दूर एक शांतिपूर्ण छुट्टी मनाने का एक अच्छा पर्यटक स्थल है इसकी सबसे बड़ी विशेषता है कि यहां पर अंग्रेजो के द्वारा विशाल विक्टोरियन इमारतों का निर्माण किया गया है जो पर्यटकों को यहां पर आने के लिए मजबूर करता है I इसके अलावा यहां पर देवदार के बड़े-बड़े पेड़ भी पाए जाते हैं जो इसके सुंदरता को और भी ज्यादा बढ़ा देते हैं आपको बता दें कि इस क्षेत्र के घने जंगलों में कई तरह की लुप्तप्राय प्रजातियां भी पाई जाती हैं। इसके अलावा यहां पर और भी दूसरे पर्यटक स्थल उपस्थित है जिसका आप मजा उठा सकते हैं इसका विवरण हम आपको नीचे देंगे आइए जानते हैं-

  • माल रोड
  • मंकी पॉइंट कसौली
  • कृष्णा भवन मंदिर

कसोल पर्यटन स्थल | कसौली घूमने की जगहें | Kasol Himachal Pradesh Tourist Places

कसोल भारत के हिमाचल प्रदेश राज्य के कुल्लू जिले का एक गाँव है। यह पार्वती घाटी में, घाटी नदी पर स्थित एक प्रमुख पर्यटक स्थल है और मलाणा और खीरगंगा के पास के ट्रेक के लिए एक आधार के रूप में कार्य करता है यहां पर अधिक मात्रा में इजरायली नागरिक घूमने के लिए आते हैं जिसके कारण यहां पर अगर आप जाते हैं तो आपको इजराइल के अधिक लोग मिल जाएंगे इसके फलस्वरूप इसे मिनी इजराइल भी कहा जाता है I

  • प्रकृति पार्क
  • शिव मंदिर मणिकर्ण
  • खीर गंगा पिकअप

स्पीति वैली टूर | स्पीति घाटी हिमाचल प्रदेश | Spiti Valley Tourist Places Himachal Pradesh

स्पीति घाटी हिमाचल प्रदेश राज्य में समुद्र तल से 12500 ऊंचाई पर स्थित है इससे घाटी की सबसे बड़ी विशेषता है कि यहां पर साल में केवल 250 ही नहीं सूर्य की किरने दिखाई पड़ती हैं और यह एक ठंडा रेगिस्तान है यहां पर चारों तरफ बर्फ के बड़े बड़े पहाड़ हैं यही कारण है कि यहां पर गर्मी के दिनों में आना आपके लिए काफी उपयुक्त होगा क्योंकि ठंड के मौसम में यहां पर आप नहीं आ सकते हैं क्योंकि इसका पूरा मार्ग बर्फ से ढका रहता है I इसके अलावा यहां पर घूमने लायक और भी दूसरे पर्यटक स्थल है जिसका विवरण हम आपको नीचे देंगे-

  • चंद्रताल झील
  • काई मठ
  • कुंजुम दर्रा

Chitkul Places to Visit

Chitkul भारत का आखिरी गांव कहां जाता है। चितकुल गांव की ऊंचाई लगभग 11,319 फीट है और यह हिमाचल प्रदेश की किन्नौर घाटी में स्थित है। इस जगह के बारे में कम लोगों को मालूम है कि आप बिल्कुल स्वर्ग के जैसा ही है इस गांव की सबसे बड़ी विशेषता है कि यहां पर प्रदूषण न मात्रा का है इसलिए इसे भारत का प्रदूषण मुक्त गांव भी कहा जाता यही कारण है कि इस गांव में प्रत्येक वर्ष लाखों की संख्या में पर्यटक घूमने के लिए आते हैं

बीर बिलिंग –
बीर उत्तरी भारत में हिमाचल प्रदेश राज्य में स्थित एक छोटा सा शहर है। बीर बिलिंग पैराग्लाइडिंग, ट्रेक एडवेंचर खेलों के लिए या जगह बहुत ज्यादा प्रसिद्ध है यही कारण है कि यहां पर प्रत्येक वर्ष वर्ल्ड पैराग्लाइडिंग चैंपियनशिप की मेजबानी भी करता है। जिसमें दुनिया के विभिन्न विभिन्न कोनों से एडवेंचर खेलों के खिलाड़ी आकर इसमें सम्मिलित होते हैं इसके अलावा यहां पर घूमने लायक और भी दूसरे पर्यटक स्थल है जिसका विवरण हम आपको नीचे दे रहे हैं-

करेरी झील
वज्रेश्वरी मंदिर
कांगड़ा का किला

खज्जियार
खज्जियार हिमालय पर्वतमाला के धौलाधार पर्वत श्रृंखला स्थित एक पठारी क्षेत्र है और इसे भारत का स्विट्जरलैंड भी कहा जाता है इससे पर्यटक स्थल की सबसे बड़ी खासियत है यहां पर देवदार के घने जंगल पाए जाते हैं जो इसकी प्राकृतिक सुंदरता को और भी ज्यादा बढ़ा देते हैं यही वजह है कि अगर आप हिमाचल प्रदेश घूमने के लिए जा रहे हैं तो आप अपने परिवार के साथ यहां पर जरूर जाएं इसके अलावा यहां पर और भी दूसरे घूमने लायक पर्यटक स्थल है जिसका विवरण हम आपको नीचे दे रहे हैं जो इस प्रकार है-

पांच पांडव वृक्ष
तिब्बती हस्तशिल्प केंद्र
नाइन होल गोल्फ कोर्स

हिमाचल प्रदेश जाने का अच्छा समय क्या है

हिमाचल प्रदेश अगर आप जाना चाहते हैं तो इसके लिए गर्मी का मौसम आपके लिए सबसे अच्छा होगा क्योंकि जब गर्मी के मौसम आते हैं तो हम लोग गर्मी से बहुत ज्यादा परेशान होते हैं ऐसे में आप हिमाचल प्रदेश गर्मी के मौसम में जाकर ठंडक का अनुभव कर सकते हैं आमतौर पर मार्च महीने से लेकर जून महीने का समय यहां पर जाने का सर्वोत्तम समय है I

हिमाचल प्रदेश कैसे जाएं
हिमाचल प्रदेश अगर आप जाने के बारे में सोच रहे हैं तो मैं आपको बता दूं कि आप यहां पर रेल मार्ग सड़क मार्ग और हवाई मार्ग तीनों के माध्यम से आसानी से यहां पर पहुंच सकते हैं हिमाचल प्रदेश भारत का ऐसा राज्य है जो भारत के सभी राज्यों के साथ जुड़ा हुआ है इसलिए यहां पर जाना आपके लिए कोई मुश्किल काम नहीं है I

अमरनाथ यात्रा की जानकारी | Shri Amarnatha Temple Yatra Guide

जय श्री राम भक्तों | यात्रा 99 में आपका एक बार फिर से स्वागत है | जैसा की आप जानते हैं कि हम अपने ब्लॉग में देश – विदेश की सभी धार्मिक और प्रसिद्ध यात्राओं की शानदार जानकारी पोस्ट करते हैं | उसी क्रम में आज हम आपके लिए बाबा श्री अमरनाथ यात्रा (Amarnath Temple) की महत्वपूर्ण जानकारी लेकर आये हैं | इस यात्रा की जानकारी इस ब्लॉग को बनाने वाले जितेन्द्र कुमार अरोरा जी ने स्वयं लिखी हैं | क्योंकि उन्होंने सन 2014 में श्री अमरनाथ यात्रा पूरी की थी | उन्हें यात्रा करना और अपने खुद के अनुभव को शेयर करना बहुत पसंद है | इसीलिए वह स्टेप बाई स्टेप आपको यहाँ इस पवित्र यात्रा की जानकारी देने जा रहे हैं |

अमरनाथ मंदिर गुफा पंजीकरण | Amarnath Temple Registration | Amarnath Temple Trek Distance

  1. श्री अमरनाथ यात्रा के लिए जाने से पहले रजिस्ट्रेशन (Amarnath Yatra Registration) करवाना होता है। हमारे देश के बहुत सारे बैंकों जैसे यस बैंक आदि में रजिस्ट्रेशन फॉर्म भरे गए थे। रजिस्ट्रेशन के दौरान ही मेडिकल चेकअप करवाना होता है, उसके बाद ही बैंक आपको पूरा रजिस्ट्रेशन कार्ड देता है। इस कार्ड को आपको पूरी यात्रा  में चेकिंग के लिए साथ रखना होता है।
  2. अमरनाथ यात्रा के लिए यात्रियों को शारीरिक रूप से स्वस्थ होना बहुत आवश्यक है , क्योंकि श्री अमरनाथ यात्रा के दौरान लगभग 14 ,800 फिट की उँचाई तक जाना और आना पड़ता है। 
  3. श्री अमरनाथ यात्रा के समय जरुरी और आवश्यक दर्द निवारक दवाइयों को साथ ले जाना बहुत जरुरी है। जैसे मरहम, गलूकोज़ , पेन किलर, विक्स, मूव, वेसलीन , बोरो प्लस आदि. 
  4. श्री अमरनाथ यात्रा जाते  समय गरम कपड़ो को भी ले जाना बहुत जरुरी है।  अपने साथ ऊनी कपडे, रेन कोट, फुल गर्म इनर, मफरल, मंकी कैप, अच्छे क्वालिटी  के स्पोर्ट्स शूज़ आदि , धुप से बचने के लिए एक हेट भी रख सकते है। साथ में एक लाठी जिसके नीचे लोहे की नोक लगी हो पहाड़ों और बर्फ में चलने में सहायक होती है। 

अमरनाथ यात्रा का विवरण | Amaranatha Temple Travel Guide | Amarnath Trek Distance

श्री अमरनाथ जी यात्रा का मुख्य रास्ता जम्मूतवी से शुरू होता है, यहाँ से आप सड़क या वायुयान   से जम्मू  जम्मू उधमपुर, कूद, पत्नी टॉप, बटोट, रामवन, बनिहाल, जवाहर टर्नल, खानेबल और अनंतनाग होते हुए पहलगांव पहुंचा जा सकता है,

 यात्रा के विभिन्न चरण | Amarnath Yatra Route | Amarnath Yatra Trek Distance

  1. प्रथम चरण -पहलगांव से चंदनवाड़ी 16 किमी की यात्रा पैदल या छोटी कार, बस आदि से पूरी की जा सकती है। चंदनवाड़ी लगभग 6500 फ़ीट की उचाई पर स्थित है, पैदल 5 या 6 घंटे में पूरी की जा सकती है और कार आदि से 1  घंटे में पहुंचा जा सकता है। 
  2.  दूसरा चरण – चंदनवाड़ी से पिस्सूटॉप की दूरी 3 किमी है, जो की 10600 फ़ीट की उचाई पर है, यहाँ की यात्रा 2 से 3 घंटे में पूरी की जा सकती है। यात्रा में मुख्य आकर्षण पिस्सूटॉप घाटी है, जो सर्पाकार है और बर्फ से ढकी है। 
  3. तीसरा चरण- पिस्सूटॉप से शेषनाग की यात्रा 8 किमी की है, जिसकी उचाई 11630 फ़ीट है, इस यात्रा को ४ से 5 घंटे में पूरा किया जा सकता है . 
  4. चतुर्थ चरण – शेषनाग से महागुनस की दूरी लगभग 6 किमी है,  महागुनस पर्वत की चढ़ाई 3 से 4 घंटे में पूरी की जा सकती है.   जिसकी उचाई 14800 फ़ीट है .
  5. पांचवा चरण – महागुनस से पोषपत्री की दूरी 1 किमी है, जो आधे घंटे में पूरी की जा सकती है .
  6. छटा चरण -पोषपत्री से पंचतरणी की दूरी लगभग 6 किमी है, इसकी यात्रा 3 से 3 घंटे में पूरी की जा सकती है, इसकी उचाई 12500 फ़ीट की है , पांच तरणि में पांच प्रकार की नदियों का संगम है .
  7. सातवां चरण – पंचतरणी से पवित्र गुफा की यात्रा 6 किमी है, और उचाई 13500 फ़ीट के आस -पास है, इसमें 3 किमी का रास्ता बर्फ से ढका  हुआ है, रस्ते में एक हिम नदी आती है जिसे पार करके पवित्र अमरनाथ गुफा के दर्शन होते है, 
Amarnath Yatra Map

श्री अमरनाथ गुफा 100 फ़ीट लम्बी और150 फ़ीट चौड़ी है,जिसमे अपने आप प्राकर्तिक रूप से निर्मित बर्फ से बना लगभग 10 फ़ीट ऊँचा शिवलिंग प्रकट होता है। बाई और माँ पार्वती और श्री गणेश जी का हिम निर्मित स्थान है। एक प्राचीन कथा के मुताबिक भगवान शंकर ने माँ पार्वती को अमर गुफा में संसार की रचना के गुड़ रहस्य की कथा सुनाई थी। उसी समय कबूतर (Amarnath Pigeons) का एक जोड़ा कथा को सुन रहा था और सुनकर अमर हो गया , आज भी कबूतर अमरनाथ दर्शनार्थियों को गुफा में दर्शन देते है।  

निष्कर्ष

भक्तों आज की पोस्ट में हमने आपको श्री अमरनाथ गुफा की यात्रा की बहुत ही उपयोगी जानकारी देने की कोशिश की है | आशा करते हैं आपको हमारी यह पोस्ट जरुर पसंद आई होगी | अगर आप या आपके रिश्तेदार या मित्र भी इस पवित्र यात्रा पर जाना चाहते हैं तो यह जानकारी आपके बहुत काम आ सकती है | इसीलिए इस उपयोगी पोस्ट को शेयर जरुर करें |

अगर आपके मन में भी श्री अमरनाथ गुफा यात्रा के सम्बन्ध में कोई सवाल तो हमें जरुर लिखें | और अगर अप किसी और यात्रा की जानकारी हमारे ब्लॉग यात्रा 99 में देखना चाहते हैं तो हमें कमेन्ट करें | हम जल्द से जल्द उस यात्रा की जानकारी यहाँ प्रकाशित करने की कोशिश करेंगे |

जय श्री राम | जय महाकाल

सौ० जितेन्द्र कुमार अरोरा

खाटू श्याम मंदिर राजस्थान यात्रा कैसे करें | Khatu Shyam Ji temple Rajasthan Darshan

नमस्कार दोस्तों स्वागत है हमारे वेबसाइट Yatra99 पर आज की पोस्ट में बात करेंगे Khatu Shyam Baba Yatra की. जैसा कि हम लोग जानते हैं कि खाटू श्याम बाबा भगवान श्री कृष्ण के कलयुग अवतार माने जाते हैं, इसलिए उनकी महिमा अपरंपार है और ऐसा कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति उनके दर्शन कर लेगा उसकी सभी मन की मनोकामना की पूर्ति हो जाएगी. ऐसे में अगर आप भी खाटू श्याम बाबा के दर्शन करना चाहते हैं लेकिन आपको समझ में नहीं आ रहा है कि खाटू श्याम बाबा की यात्रा आप कैसे करेंगे, वहां पर कैसे पहुंचेंगे, अगर आप इसके बारे में कुछ भी नहीं जानते हैं तो कोई बात नहीं आज हम आपसे निवेदन करेंगे कि हमारे इस आर्टिकल पर आखिर तक बने रहे.
तो चलिए शुरू करते हैं-

खाटू श्याम का इतिहास | Khatu Shyam Mandir History

खाटू श्याम बाबा का इतिहास क्या है अगर उसके बारे में हम चर्चा करें तो वह काफी पुरानी है. और उसका सीधा संबंध महाभारत काल से है I आप लोगों ने महाभारत काल में भीम के पौत्र बर्बरीक का नाम जरूर सुना होगा जो काफी शक्तिशाली और महान योद्धा था. उसके बारे में कहा जाता है कि उसके बाण में इतनी ज्यादा ताकत थी कि एक बाण से कई लोगों को एक साथ मौत के घाट उतार सकता था. श्री कृष्ण उनके इस शक्ति के बारे में जानते थे. उन्होंने एक तरकीब निकाली और ब्राह्मण का वेश धारण कर वीर योद्धा बर्बरीक के पास पहुंच गए और उन्होंने कहा मुझे आपका सिर चाहिए इस पर बर्बरीक ने अपना सिर काट कर उन्हें दे दिया. श्रीकृष्ण ने अपना असल रूप धारण किया और उन्हें वरदान दिया कि आज के बाद तुम इस संसार में खाटू श्याम बाबा के नाम से पूजा जाओगे और इसलिए खाटू श्याम मंदिर में बर्बरीक के अलावा भगवान श्री कृष्ण और राधा की भी पूजा की जाती है I

खाटू श्याम कैसे बने | Khatu Wale Shyam Story | Baba Khatu Shyam Ki Katha

खाटू श्याम कैसे बने उसके पीछे एक कहानी काफी पुरानी और पौराणिक है महाभारत काल में आप लोगों ने बर्बरीक का नाम जरूर सुना होगा. जो महाशक्तिशाली भीम के पोते थे और भीम के पुत्र घटोत्कच के पुत्र थे. उसके बारे में कहा जाता है वीर बर्बरीक काफी शक्तिशाली और महान योद्धा थे. उन्हें महादेव के द्वारा वरदान भी प्राप्त था, इसलिए श्री कृष्ण ने सोचा कि अगर बर्बरीक पांडवों के खिलाफ महाभारत में युद्ध में पांडवों के जीत में एक बाधा उत्पन्न हो जाएगी. इसलिए उन्होंने तरकीब के द्वारा बर्बरीक को युद्ध में भाग लेने से रोकने के लिए उनसे एक वचन मांगा और ब्राह्मण के भेष में उनके पास चले गए. बर्बरीक ने अपने वचन का मान रखा और उन्होंने श्रीकृष्ण को अपना सर काट के दे दिया. इस पर श्री कृष्णा बहुत ज्यादा प्रसन्न हुए और उन्हें कहा कि शीश दानी आज मैं तुम्हें अपना नाम देता हूँ और कलयुग में तुम मेरे नाम यानी कि श्याम के रूप में पूजे जाओगे इसी प्रकार बर्बरीक से खाटू श्याम बने.

खाटू श्याम बाबा के दर्शन कैसे करे | Khatu Shyam Baba Darshan Kaise Kare | Khatu Shyam Darshan Online Booking

खाटू श्याम बाबा के अगर आप दर्शन करना चाहते हैं तो उसके दो तरीके हैं पहला आप खाटू श्याम मंदिर चले जाएं और वहां पर जाकर उनके दर्शन कर सकते हैं और दूसरा आप घर बैठे ऑनलाइन बुकिंग कर सकते हैं. जिसमें आपको विशेष तारीख दी जाएगी और आप वहां पर जाकर आसानी से खाटू श्याम बाबा के दर्शन कर पाएंगे. ऑनलाइन बुकिंग का सबसे बड़ा फायदा होता है कि वहां पर आप जब जाएंगे तो आपको भीड़ में लाइन लगाने की जरूरत नहीं है, बल्कि आप आसानी से वहां पर जाकर अपने रजिस्ट्रेशन नंबर के मुताबिक खाटू श्याम बाबा के दर्शन कर सकते हैं. दर्शन करने के लिए आप इसका ऑफिशल वेबसाइट पर जाकर Registration कर सकते हैं. जिसका लिंक हम आपको नीचे दे रहा है जो इस प्रकार-

Baba Khatu Shyam Ji Online Bookinghttps://shrishyamdarshan.in/

खाटू श्याम मंदिर कहां है | Khatu Shyam Mandir Location | Khatu Shyam Temple Distance

खाटू श्याम बाबा का मंदिर राजस्थान के सीकर जिले में खाटू श्याम नामक गांव में स्थित है. जयपुर से इसकी दूरी 80 किलोमीटर है और दिल्ली से 300 किलोमीटर I

Jaipur to Khatu Shyam Distance80 Km
Delhi to Khatu Shyam Distance300 Km

खाटू श्याम के आस पास घूमने की जगह | Tourist Places Near KhatuShyam | Khatu Dham Mandir

जब आप खाटू श्याम मंदिर के पास जाएंगे तो उसके अगल-बगल विभिन्न प्रकार के घूमने की जगह है जिसका विवरण हम आपको नीचे दे रहे हैं जो इस प्रकार गया

जीण मंदिर | Jeern Mandir

सांस्कृतिक मंदिर जीर्ण मंदिर खाटू श्याम से 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. यहां पर माता दुर्गा की पूजा की जाती है यहां पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु माता दुर्गा की पूजा करने के लिए आते हैं I

सालासर बालाजी का मंदिर | Salasar Balaji Mandir Rajasthan

खाटू श्याम धाम से लगभग 100 किलोमीटर दूर सुजानगढ़ जिला में सालासर बालाजी धाम स्थित है. इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता है कि यहां पर हनुमान जी दाढ़ी मूछ के रूप में विराजमान है I

गायत्री मंदिर | Gayatri Manidr Near Khatu Shyam Ji

खाटू श्याम धाम परिसर में गायत्री माता का भी मंदिर बना हुआ है. जहां पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु माता गायत्री देवी की आराधना और पूजा करने के लिए आते हैं

हनुमान मंदिर | Hanuman Mandir Rajasthan

हनुमान का बहुत ही प्राचीन मंदिर खाटू श्याम में बना हुआ है I यहां पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु भगवान हनुमान जी की पूजा करने के लिए आते हैं

इसके अलावा खाटू श्याम में और भी दूसरे प्रकार के जगह है, जहां पर आप जा सकते हैं जिसका विवरण हम आपको नीचे दे रहे हैं

● लक्ष्मण गढ़ किला
● सीकर म्युसियम
● हर्षनाथ मंदिर
● देवगढ़ किला
● दांता रामगढ़
● गणेश्वर
● जयपुर पिकनिक स्पॉट

खाटू श्याम जाना कब उपयुक्त है | Khatu Shyam Mandir Timing

खाटू श्याम जी के दर्शन करने के लिए वैसे तो साल के 12 महीने श्रद्धालु आते रहते. लेकिन यहां पर जाने का सबसे अच्छा मौसम मार्च से अप्रैल महीना . इसके अलावा जन्माष्टमी के दिन यहां पर आप जा सकते हैं. क्योंकि वहां पर उस दिन भारी मेला का आयोजन किया जाता है और लाखों की संख्या में श्रद्धालु खाटू श्याम बाबा जी के दर्शन करने के लिए आते हैं I

खाटू श्याम मंदिर कैसे पहुंचेंगे | Khatu Shyam Wale Baba Kaise Pahunche | way to khatu shyam

खाटू श्याम मंदिर अगर आप जहां चाहते हैं तो आप हवाई रेल और सड़क तीनों मार्ग का इस्तेमाल कर सकते हैं. इन तीनों के बारे में हम आपको नीचे विस्तारपूर्वक जानकारी देंगे आइए जानते हैं-

ट्रेन के द्वारा | Khatu Shyam Way by Train

खाटू श्याम अगर आप मंदिर जाना चाहते हैं तो आप ट्रेन के माध्यम से वहां पर पहुंच सकते हैं. इसके लिए आपको जयपुर रेलवे स्टेशन पर उतरना होगा और वहां से आप सड़क मार्ग से खाटू श्याम मंदिर जा पाएंगे.

हवाई मार्ग के द्वारा | Khatu Shyam Ji Yatra by Air

अगर आप खाटू श्याम मंदिर जाना चाहते हैं तो इसके लिए आप हवाई यात्रा का भी इस्तेमाल कर सकते हैं. इसके लिए आपको जयपुर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा बताना होगा और वहां पर टैक्सी या बस के माध्यम से आप यहां पर पहुंच पाएंगे

सड़क मार्ग द्वारा | Baba Khatu Shyam Yatra By Road

सड़क मार्ग के द्वारा आप आसानी से खाटू श्याम मंदिर जा सकते हैं. इसके लिए अगर आपके पास खुद की गाड़ी है तो आप आसानी से यहां पर पहुंच सकते हैं और चाहे तो आप बस सेवा का भी इस्तेमाल कर सकते हैं. आज के वक्त में आपको ऐसी कई बस सर्विस मिल जाएंगे जिसके माध्यम से आप सीधे खाटू श्याम मंदिर जा सकते हैं I

खाटू श्याम बाबा जी के दर्शन का समय | Darshan Time For Baba Khatu Maharaj Ji

खाटू श्याम मंदिर में आप जाकर खाटू श्याम बाबा जी का दर्शन करना चाहते हैं तो उसके लिए कुछ विशेष समय निर्धारित किए गए . उसके अनुसार ही आपको वहां पर जाना होगा जिसका विवरण हम आपको नीचे दे रहे हैं जो इस प्रकार है-

सुबह का समय :सुबह 8:00 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक
शाम का समय : शाम 4:00 बजे से रात 8:00 बजे

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उत्तर प्रदेश में घूमने की जगह | Uttar Pradesh Tourist Places

नमस्कार दोस्तों स्वागत है हमारे वेबसाइट पर आज की पोस्ट में हम बात करेंगे Uttar Pradesh tourist places अगर आप अपने परिवार के साथ कहीं घूमने के बारे में प्रोग्राम घर में बना रहे हैं तो आप उत्तर प्रदेश जा सकते हैं उत्तर प्रदेश में घूमने लायक कई मशहूर पर्यटक स्थल है अब आपके मन मे सवाल आएगा कि उत्तर प्रदेश में घूमने लायक कौन कौन सी जगह है अगर आप इसके बारे में पूरी जानकारी चाहते हैं तो हम आपसे निवेदन करेंगे कि आर्टिकल को आखिर तक पढ़े चलिए शुरू करते हैं-

उत्तर प्रदेश के प्रमुख धार्मिक स्थल | Uttar Pradesh Me Ghumne Ki Jagah

उत्तर प्रदेश में प्रमुख पर्यटक स्थल निम्नलिखित प्रकार के हैं जिसका विवरण हम आपको नीचे बिंदु अनुसार देंगे आइए जानते हैं-

वृंदावन धाम के दर्शन | Vrindavan Uttar Pradesh Places to Visit

उत्तर प्रदेश को धार्मिक राज्य कहा जाता है ऐसे में अगर आप अपने परिवार के साथ उत्तर प्रदेश घूमने के लिए जा रहे हैं तो आप वृंदावन जाना ना भूलें वृंदावन भगवान श्री कृष्ण की बाल लीला का केंद्र माना जाता है ऐसा कहा जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने यहां पर अपनी बाल लीलाएं की थी वृंदावन मथुरा जिले में स्थित है ऐसे में अगर आप भगवान श्री कृष्ण के बहुत बड़े भक्त हैं तो आप यहां पर जा सकते हैं यहां पर भगवान श्री कृष्ण के बचपन की कई प्रकार की मनमोहक झांकियां आपको देखने की मिलेगी जिसे देखने के बाद आपका मन तृप्त हो जाएगा

ताजमहल कहां है | Taj Mahal Agra Tourist Places

जैसा कि आप लोग जानते हैं कि ताजमहल आगरा में स्थित है और आगरा उत्तर प्रदेश में ऐसे में अगर आप अपने परिवार के साथ घूमने के लिए उत्तर प्रदेश जा रहे हैं तो आप ताजमहल देखना ना भूलें जैसा कि आप जानते हैं कि ताजमहल दुनिया का सातवां अजूबा है और यहां पर आपको जिस प्रकार की खूबसूरती देखने को मिलेगी उसे देखने के बाद आप का मान मानो लगेगा कि आप किसी स्वर्ग में चले गए हैं और यहां का नजारा कुछ अलग ही होता है ताजमहल को शाहजहां ने अपनी पत्नी मुमताज की याद में बनाया था इसे एक प्यार के प्रतीक के रूप में भी जाना जाता है I

शाकंभरी देवी मंदिर कहां स्थित है | Shakumbari Devi Mandir

शाकुंभरी देवी उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में स्थित एक माता का मंदिर है यहां पर दूर-दूर से लोग दर्शन करने के लिए आते हैं ऐसे में अगर आप भी उत्तर प्रदेश जा रहे हैं तो यहां पर जाना ना भूलें I शाकुंभरी देवी को मां जगदंबा का ही अवतार माना जाता है इस मंदिर का धार्मिक महत्व बहुत ज्यादा है इसके बारे में कहा जाता है कि यहां पर माता सती का शरीर का एक अंश गिरा था जिसके कारण यहां पर एक पीठ स्थापित हुआ था जिसे हम लोग.परम पीठ, मां शक्ति पीठ और सिद्धबली पीठ कहां गया है।

आनंद भवन संग्रहालय | Uttar Pradesh Tourist places Anand Bhavan

उत्तर प्रदेश में स्थित आनंद भवन को जवाहरलाल नेहरू के निवास स्थान के रूप में जाना जाता है यहीं पर ज्वाला नेहरू का जन्म हुआ था I आनंद भवन आज की तारीख में एक संग्रहालय है ऐसे में आप यहां पर जा सकते हैं इसके बारे में कहा जाता है कि यहां पर जवाहरलाल नेहरू के पिता मोतीलाल नेहरू रहा करते थे और जब भारत अंग्रेजों का गुलाम था तो यहां पर कांग्रेस पार्टी के सभी अहम बैठक आयोजित की जाती थी इसलिए इसका संबंध स्वतंत्रता संग्राम से भी है

गोरखनाथ मंदिर | Gorakhnath Temple Uttar Pradesh

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में गोरखनाथ मंदिर है इस मंदिर के प्रमुख महंत उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदिनाथ है इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहां पर महाराज गोरखनाथ ने समाधि ली थी उसी के नाम पर इस मंदिर का नाम गोरखनाथ पड़ा है I मकर संक्रांति के दिन यहां पर मेले का आयोजन किया जाता है जहां पर दूर-दराज से लोग घूमने के लिए आते हैं और यहां पर 1 महीने मेला लगा रहता है I गोरखनाथ मंदिर का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है I

दशावतार मंदिर कहां है | Dashavatara Temple Deogarh Uttar Pradesh

उत्तर प्रदेश में स्थित दशावतार मंदिर भगवान विष्णु का मंदिर है इस मंदिर में भगवान विष्णु के आप दसवे अवतार का दर्शन कर सकते हैं इस मंदिर की अपने आप में महिमा आए यहां पर भारत के विभिन्न राज्य से लोग भगवान विष्णु के 10 अवतार का दर्शन करने के लिए आते हैं इस मंदिर का निर्माण गुप्त वंश के कार्यकाल में हुआ था या मंदिर 15000साल पुराना है I

सीताकुंड घाट | Uttar pradesh tourist places Sitakund Ghat

उत्तर प्रदेश में स्थित से सीताकुंड घाट एक मशहूर धार्मिक प्रतीक है इस घाट के बारे में कहा जाता है कि यहां पर भगवान राम और माता पिता और उनके भाई लक्ष्मण मैं यहां पर रात व्यतीत की थी जिसके कारण इस घाट का नाम सीताकुंड घाट पड़ा जिसके कारण यह प्रत्येक साल यहां पर संतों की टोलीश्रृंगवेरपुर के लिए निकलती है रात के समय यहां पर विश्राम करते हैं I रामायण और रामचरितमानस में भी इस घाट का जिक्र किया गया है।

यहां पर भगवान राम और माता सीता की मूर्ति स्थापित की गई है इसके अलावा मंदिर के बाहर प्रत्येक साल नवरात्रि पर मेला का आयोजन किया जाता है जहां पर विभिन्न जगहों से लोग घूमने के लिए आते हैं इसके अलावा मंदिर के अंदर भगवान हनुमान की मूर्ति भी स्थापित है

रानी महल कहा है | Uttar Pradesh Tourist Places Rani Mahal Jhansi

रानी महल उत्तर प्रदेश के झांसी जिले में स्थित एक दो मंजिला इमारत है इस महल का निर्माण रघुनाथ तृतीय ने करवाया था या महान देशभक्तों का केंद्र है जिसका नेतृत्व लक्ष्मीबाई मराठा सरदारों और तात्या टोपे और नाना साहब ने किया था झांसी का संबंध भारत की स्वतंत्रा लड़ाई से आज के समय में इस माल को राष्ट्रीय संग्रहालय के रूप में परिवर्तित कर दिया है इसे देखने के लिए देश के कोने-कोने से लोग यहां पर आते हैं I

फतेहपुर सीकरी किला | Fatehpur Sikri Dargah

फतेहपुर सिकरी उत्तर प्रदेश में स्थित है इसका निर्माण अकबर ने करवाया था ऐसा कहा जाता है कि मुगल काल में फतेहपुर सीकरी को भारत की राजधानी बनाया गया था लेकिन यहां पर पानी की बहुत ज्यादा कमी थी जिसके कारण इसे खाली कर दिया गया था और मुगल दिल्ली चले गए थे फतेहपुर सीकरी एक बेजोड़ नमूना है जिसके कारण इसे इन उसको के द्वारा विश्व धरोहर में सम्मिलित किया गया है

यह आगरा जिले का एक नगर पालिका वार्ड भी है। यह भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के आगरा जिले में स्थित है। फतेहपुर सीकरी मुस्लिम वास्तुकला का एक सबसे अच्छा उदाहरण है और यह मक्का मस्जिद की नकल है।

द्वारकाधीश मंदिर के दर्शन | Dwarkadhish Temple Mathura

द्वारकाधीश मंदिर देश के मथुरा में स्थित है या भगवान श्री कृष्ण का मंदिर है इसका निर्माण 1814 में सेठ गोकुलदास पारीक के द्वारा करवाया गया था उत्तर प्रदेश के मथुरा में स्थित कृष्ण मंदिर है जो जगत मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। आज के तारीख में इस मंदिर की देखभाल वल्लभाचार्य संप्रदाय के द्वारा किया जा रहा है I यहां पर भगवान श्री कृष्ण के अलावा देवी राधिका की प्रतिमा स्थापित की गई है प्रत्येक साल यहां पर झूले का त्यौहार आयोजित किया जाता है इसमें देश और दुनिया से लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं और मेले का आनंद उठाते हैं

काशी विश्वनाथ मंदिर | Kashi Vishwanath Mandir

विश्वनाथ मंदिर अनादि काल से काशी में स्थित है यह द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से प्रमुख है। इसे भगवान शंकर और माता पार्वती का निवास स्थान माना जाता है

ईसा पूर्व 11 वीं सदी में राजा हरिश्चंद्र और सम्राट विक्रमादित्य ने जिस विश्वनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार कराया था उसे ही 1194 में मोहम्मद गौरी के द्वारा जिला जिला दिया गया लेकिन बाद में फिर इस मंदिर का निर्माण किया गया यह मंदिर हिंदुओं के लिए आस्था का प्रतीक इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि इसे तोड़ने के लिए औरंगजेब ने अपनी सेना लगातार वहां पर भेजी और इस मंदिर के एक परिसर को ज्ञानवापी मस्जिद के रूप में बदलने का काम औरंगजेब ने किया औरंगजेब इतना क्रूर शासक था उसने एक आदेश जारी किया कि प्रतिदिन एक सौ ब्राह्मण को इस्लाम धर्म कबूल करवाया जाए आज काशी में जितने भी मुस्लिम है उन सभी के ब्राह्मण है

उत्तर प्रदेश कैसे जाएं

उत्तर प्रदेश जाने के लिए आप सड़क रेल और हवाई तीनों मार्ग का इस्तेमाल कर सकते हैं तीनों का विवरण हम आपको नीचे दिन कौन सा देंगे जो इस प्रकार है

रेल मार्ग के द्वारा

रेल मार्ग द्वारा आप उत्तर प्रदेश भारत के किसी भी राज से जा सकते हैं क्योंकि उत्तर प्रदेश भारत का सबसे बड़ा राज्य है और इसे भारत के विभिन्न राज्यों के साथ जोड़ा गया है ऐसे में आप रेल मार्ग से आसानी से उत्तर प्रदेश जा सकते हैं I

सड़क मार्ग के द्वारा

भारत के किसी भी राज्य में आप रहते हो अगर आपको उत्तर प्रदेश जाना है तो आप सड़क मार्ग से भी जा सकते हैं विभिन्न प्रकार के बस सेवा संचालित होती हैं जो आपको सीधे उत्तर प्रदेश में स्थित पर्यटक स्थल लेकर जाते हैं इसके अलावा आप चाहे तो अपनी खुद की गाड़ी से भी जा सकते हैं I

हवाई मार्ग के द्वारा

हवाई मार्ग द्वारा अगर आप उत्तर प्रदेश जाना चाहते हैं आप आसानी से जा सकते हैं उत्तर प्रदेश में लखनऊ, वाराणसी, गोरखपुर, आगरा, कानपुर, प्रयागराज, हिंडन (गाजियाबाद), कुशीनगर इत्यादि हवाई अड्डे उपस्थित है इसलिए यहां पर आप हवाई मार्ग से आसानी से जा सकते हैं

गोवा टूरिस्ट प्लेस | Tourist Places in Goa Hindi


नमस्कार दोस्तों स्वागत है हमारे वेबसाइट पर आज की पोस्ट में हम बात करेंगे goa tourist places in hindi जैसा कि आप जानते हैं कि गोवा भारत का प्रमुख पर्यटक राज्य है और यहां पर घूमने लायक कई ऐसे पर्यटन स्थल है I जहां आप अपने परिवार के साथ घूमने जाएंगे तो आपको लगेगा कि मानो आप किसी विदेशी जगह पर घूमने के लिए गए हैं I गोवा का पूरा परिवेश विदेशी वातावरण की तरह है I

यहां पर घूमने के लिए देश के हर कोने और दुनिया के हर देश से लोग अपने परिवार के साथ छुट्टी का आनंद उठाने के लिए आते हैं I ऐसे में आपके मन में सवाल आ रहा है कि गोवा में टूरिस्ट प्लेस कौन कौन से हैं जहां आप घूमने के लिए जा सकते हैं I

अगर आप उनके बारे में नहीं जानते हैं तो कोई बात नहीं है हम आपसे अनुरोध करेंगे कि आगे कल को आखिर तक पड़े आइए जानते हैं-

गोवा के मुख्य पर्यटक स्थल | Goa Tourist Places in Hindi | Famous Places in Goa in Hindi

गोवा में घूमने लायक प्रमुख goa tourist places निम्नलिखित प्रकार के हैं जिसका विवरण हम आपको बिंदु अनुसार दूंगा जो इस प्रकार है आइए जानते हैं-

बागा बीच गोवा | Goa tourist Places Baga Beach | Goa Family Tourist Places

अगर आप गोवा घूमने के लिए जा रहे हैं तो आप अपने परिवार के साथ में गोवा का मशहूर पर्यटन स्थल बागा बीच जाना ना भूलें I बागा बीच पानी के खेलो और नाइट पार्टियों के लिए काफी मशहूर है I

यहां पर प्रति वर्ष लाखों की संख्या में पर्यटक अपने परिवार के साथ घूमने के लिए आते हैं इसके अलावा अगर आपकी शादी हाल फिलाल में हुई है तो आप अपने हनीमून के लिए यहां पर जा सकते हैं I अगर आप खाने के शौकीन हैं तो यहां का समुद्री खाना काफी मशहूर है उसका भी आप लुफ्त उठा सकते हैं I

पालोलेम बीच गोवा | Goa Tourist Places Palolem Beach | Goa Paryatan Sthal

Palolem beach गोवा का एक प्रमुख पर्यटक स्थल है ऐसे में अगर आप गोवा घूमने के लिए जा रहे हैं तो यहां पर आप अपने परिवार के साथ घूमने के लिए जा सकते हैं,क्योंकि इसकी सबसे बड़ी खासियत है कि यहां पर आपको ताड़ के पेड़ एक कतार में दिखाई पड़ेंगे I

अगर आपको शोरगुल बिल्कुल पसंद नहीं है तो यहां पर आप आ सकते हैं क्योंकि यहां का वातावरण काफी शांत और सुहाना है I

यहां पर ठहरने के लिए आपको आकर्षक छोटी-छोटी झोपड़िया मिलेंगे यहां पर कई प्रकार के आपको संगीत सुनाई पढ़ेंगे जिसमें आप नाच और गा सकते हैं I

दूध सागर झरना गोवा | Tourist Places Dudhsagar Falls

दूधसागर वॉटरफॉल गोवा का एक मशहूर पर्यटक स्थल है इसकी सबसे बड़ी खासियत है कि यहां पर जो आपको वाटरफॉल दिखाई पड़ेगा उसका पानी दूध की तरह सफेद होगा I भारत का सबसे ऊंचा वाटरफॉल दूधसागर वाटरफॉल है इसकी ऊंचाई 320 मीटर है I अगर आप एडवेंचर खेलों के शौकीन हैं तो यहां पर आपको हाईकिंग और ट्रैकिंग का आनंद उठा सकते हैं इस वाटरफॉल के नीचे लोग नहाते हैं I यहां पर जाने के लिए आप बस ऑटो और एक कैब की सहायता ले सकते हैं सबसे बड़ी बात है कि आप जब भी यहां पर जाए तो अपने साथ खाने किसी के लिए कर जाए क्योंकि यहां पर खाने की उचित व्यवस्था नहीं है I

गोवा का फेमस चर्च | Tourist Places Basilica of Bom Jesus

जैसा कि आप लोग जानते हैं कि गोवा ईसाई बहुलक राज है ऐसे में अगर आप गोवा घूमने जा रहे हैं और आप चर्च घूमना चाहते हैं तो आप गोवा के मशहूर चर्च बासिलिका ऑफ़ बोम जीसस (Basilica of Bom Jesus) जाना ना भूलें I यह गोवा का सबसे पुराना चर्चा है I गोवा की राजधानी पणजी से यह 9 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है I

मंगेशी मंदिर गोवा | Tourist places Mangeshi Temple

गोवा का मंगेशी मंदिर काफी मशहूर है ऐसे में आप अगर गोवा घूमने के लिए जा रहे हैं तो आप इस मंदिर के दर्शन करना ना भूले. क्योंकि यह भगवान महादेव का मंदिर है I इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत है कि सात मंजिली दीयों का टावर है। सोमवार के दिन में मंदिर में दिव्य आरती की जाती है उसके बाद भगवान शंकर की पालकी यहां पर निकाली जाती है जिसमें बढ़-चढ़कर हिंदू धर्म के श्रद्धालु भाग लेते हैं I

अगुअडा किला गोवा | Tourist Places Aguada Fort

Aguada Fort गोवा का प्रसिद्ध पर्यटक स्थल है इसका निर्माण पुर्तगाली ने किया था I जब गोवा पर पुर्तगाली का शासन था I यहां पर आप किसी भी समय जा सकते हैं और इसके किला की सबसे बड़ी खासियत है कि इसके चारों तरफ समुंद्र है I ऐसे में आप इस किले से समुद्र का भी मनमोहक नजारा ले सकते हैं I किले में जाने के लिए आपको कोई भी पैसा अपनी जेब से देने की जरूरत नहीं आप इसका आनंद मुफ्त में उठा पाएंगे I

पंजिम चर्च गोवा | Tourist Places Lady of Immaculate Conception – Panjim Church

गोवा का सबसे मशहूर गिरजाघर और इसका स्थापना 1541 में किया गया था सोलह 1600 साल में इसे बड़े चर्च के रूप में तब्दील कर दिया गया इसमें आपको जाने के लिए 78 सीढ़ियां चढ़ने पड़ेगी I इस गिरजाघर के अंदर दो टावर और एक बहुत बड़ी घड़ी है जिसके कारण – Our Lady of Immaculate Conception – Panjim Church गोवा का मशहूर चर्च है I

सिन्क़ुएरियम बीच गोवा | Tourist Places Sinquerim Beach | Goa Sightseeing

Sinquerim Beach गोवा का एक मशहूर Beach है अगर आप पानी के खेलों के बहुत ज्यादा शौकीन हैं तो यहां यहां पर आ सकते हैं I आपको यहां पर पानी से जुड़े हुए कई प्रकार के खेल उपलब्ध मिलेंगे जैसे-
डालफिन,वाटर स्कीइंग, फिशिंग, स्कूबा डाइविंग, पैरा सेलिंग, और विंडसर्फिंग इत्यादि का लुफ्त उठा सकते हैं. यहां पर आपको कई प्रकार के लाइट क्लब और डिस्को बार भी मिल जाएंगे जहां पर आप पार्टी का इंजॉय कर सकते हैं I

अंजुना बीच गोवा | Tourist Places Anjuna Beach | Goa Mein Ghumne Ki Jagah

Anjuna Beach गोवा का फेमस Beach है अगर आपको घूमने के लिए जा रहे हैं तो आप यहां पर अपने परिवार के साथ जा सकते हैं और यहां के समुद्री तटों का मजा उठा सकते हैं. अंजुना बीच का पिस्सू बाज़ार काफी मशहूर और जाना माना बाजार है I आप इससे मार्केट से डीक्राफ्ट, फुटवियर, वाल हैंगिंग, मसाले, झूले और बेहतरीन कपडे खरीद सकते हो। अलावा अगर आप एडवेंचर खेलकूद के शौकीन है तो यहां पर आपको एडवेंचर से जुड़े हुए खेल जंपिंग, पैराग्लाइडिंग और विंडसर्फिंग उपलब्ध मिलेंगे जिसका आनंद आप उठा सकते हैं I

डेलटिन रॉयल गोवा | Tourist Places Deltin Royale | Casino in Goa

अगर आप कैसीनो खेलने के बहुत ज्यादा शौकीन हैं तो आप Deltin Royale पर्यटक स्थल जा सकते हैं यहां पर आपको बड़े-बड़े कैसीनो के बार दिखाई पड़ेंगे I यहाँ पर आपको goa matka, goa star, rajshree goa, आदि गेम्स भी सुनने को मिलेंगे.

माता वैष्णो देवी यात्रा कैसे करें | Mata Vaishno Devi Yatra Kaise Kare

सनातन धर्म में तीर्थ यात्रा की बड़ी मान्यता है। भारत चारों ओर से तीर्थों से ही घिरा देश है। एवं सभी तीर्थों की अपनी-अपनी मान्यता एवं महत्व हैं। उन्हीं में से एक तीर्थ है देवी वैष्णो के धाम की यात्रा। दुनिया भर के सभी सनातनी वैष्णो देवी की यात्रा को लेकर उत्सुक एवं जिज्ञासु होते हैं। तथा अवसर मिलने पर मां के द्वार जाने का सौभाग्य भी प्राप्त कर ही लेते हैं। लेकिन किसी भी यात्रा को करने के लिए उसके विषय में पूर्ण जानकारी होनी अत्यंत आवश्यक है। खासकर वैष्णो देवी की यात्रा अत्यंत ही दुर्गम होने के साथ मनोहारी एवं आनंद पूर्ण होता है। तो आज के इस लेख में हम जानेंगे हिंदू धर्म के इस महान तीर्थ वैष्णो देवी की यात्रा के विषय में। जिससे कि यदि आप भी यह यात्रा करने वाले हैं तो आपको इसके विषय में पूर्ण अनुभव प्राप्त हो जाए। एवं किसी प्रकार की परेशानी ना उठानी पड़े। तो आइए जानकारियों का यह सिलसिला प्रारंभ करते हैं।

माता वैष्णो देवी की यात्रा का परिचय | Vaishno Devi Temple Introduction | वैष्णो देवी की चढ़ाई कितनी है

माता भगवती श्री वैष्णो देवी [Jag Janani Maa Vaishno Devi] का मंदिर जम्मू कश्मीर में स्थित कटरा नाम के एक नगर से अनुमानतः 12 किलोमीटर दूरी पर त्रिकूट पर्वत पर स्थित है। एवं देवी माता त्रिकूट पर्वत पर लगभग 5200 फीट की ऊंचाई पर मंदिर में विराजमान हैं। जम्मू क्षेत्र का सर्वाधिक सम्मानित एवं मान्यता प्राप्त यह‌ मंदिर है। यहां मां को अलग-अलग नामों से पुकारते हैं भक्त कोई त्रिकुटा माता तो कोई वैष्णो देवी तथा कोई माता रानी के नाम से पुकारते हैं। भगवान वेंकटेश्वर के पश्चात वैष्णो देवी का ही यह मंदिर आता है जिसके दर्शन करने सर्वाधिक मात्रा में दूर-दूर से भक्त जन आते हैं। माता के प्रहरी के रूप में साक्षात श्री हनुमंत लाल विराजमान हैं। तथा यहीं माता के परम भक्त श्री भैरवनाथ का भी मंदिर है। जिनकी पूजा प्रथम में करने के पश्चात माता की पूजा की जाती है। मंदिर का संचालन सही ढंग से करने हेतु श्री माता वैष्णो देवी तीर्थ मंडल नाम की संस्था तत्पर रहती है।

माता वैष्णो देवी की गुफा दुनियांभर में बहुत प्रसिद्ध है |

क्या है वैष्णो देवी का इतिहास | Hitory of Maa Vaishno Devi Mandir

देवी वैष्णो से जुड़ी एक प्राचीन कथा जिसकी हिंदू धर्म में काफी मान्यता है। देवी के अवतार से जुड़ी इस कथा को आइये संक्षिप्त में जानते हैं।रत्नाकर नाम के एक बड़े ही सदकर्मी एवं धार्मिक राजा थे। किंतु दुर्भाग्यवश उनके कोई संतान नहीं थी वे राजा एवं रानी देवी के भक्त थे। देवी ने उन पर कृपा कर दी एवं स्वयं ही उनके घर पुत्री के रूप में जन्म लिया। जिस पुत्री का नाम त्रिकुटा रखा गया। इन्हें तीनों देवियों देवी दुर्गा, देवी लक्ष्मी, एवं देवी सरस्वती का सम्मिलित रूप माना जाता है। मान्यता है कि त्रिकुटा इन्हीं तीन देवियों का सम्मिलित अंश है। त्रिकुटा के जन्म से पूर्व ही उसके माता-पिता से देवी ने स्वप्न में यह वचन ले लिया था कि वह अपनी पुत्री को कोई भी कार्य करने से नहीं रोकेंगे। एवं उनके जन्म लेने का उद्देश्य पूर्ण होने में बाधा नहीं बनेंगे। तथा आगे चलकर उन्हीं त्रिकुटा का नाम वैष्णवी पड़ा। वैष्णवी ने मात्र 9 वर्ष की आयु में ही अपने माता-पिता से तपस्या करने की आज्ञा मांगी। एवं माता पिता वचनबद्ध होने के कारण ना चाहते हुए भी उन्हें तप करने की आज्ञा देते हैं। एवं जब श्री राम लक्ष्मण पूरी वानर सेना के साथ सीता की खोज करते हुए उन्हीं गुफाओं से होकर गुजरते हैं तो भगवान राम की दृष्टि देवी वैष्णवी पर पड़ती है। एवं वे उनसे उनके तप करने का कारण पूछते हैं तथा वरदान मांगने को कहते हैं। तब देवी वैष्णवी ने भगवान राम को अपनी तपस्या का प्रयोजन बताया कि वह उन्हें अपने वर के रूप में प्राप्त करना चाहती हैं तथा वे उनकी यह प्रार्थना स्वीकार करें। किंतु भगवान राम मर्यादा पुरुषोत्तम एवं एक पत्नी व्रत धारण किए होने के कारण उनकी प्रार्थना स्वीकार नहीं करते। एवं उन्हें कलयुग तक प्रतीक्षा करने की आज्ञा देते हैं। एवं यह वचन देते हैं कि कलयुग में जब वे कल्कि अवतार धारण करेंगे तो देवी वैष्णवी की इच्छा को पूर्ण करेंगे तब तक के लिए उन्हें उत्तर भारत के पर्वत श्रृंखलाओं पर निवास करने एवं अनेकों अनेक भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करने के लिए विराजमान होने को कहा। देवी त्रिकुटा के उस पर्वत पर निवास करने के कारण पर्वत का नाम त्रिकूट पर्वत पड़ा। एवं सीता हरण की सूचना देवी वैष्णवी को पड़ने पर उन्होंने भगवान राम के विजय के लिए 9 दिनों तक मां दुर्गा के नौवों स्वरूपों की आराधना करती हैं। इसी कारण नवरात्रि के इन 9 दिनों में जगह जगह रामायण पाठ एवं रामलीला का आयोजन होता है। तथा देवी के व्रत की सफलता के साथ दसवें दिन दशहरा का त्योहार मनाया जाता है। जोकि देवी वैष्णवी की मनोकामना की सफलता का सूचक है। इस दशहरे में भगवान राम की विजय एवं दशानन लंकेश की हार का आनंद मनाया जाता है।

वैष्णो देवी की यात्रा पर जाने का उचित समय कब है | Vaishno Devi Kapat Open | How to Visit Vaishno Devi

देवी के धाम की यात्रा के लिए सबसे सुविधाजनक समय गर्मियों का होता है। इस वक्त पर्वतीय क्षेत्रों में मौसम अनुकूल रहता है। जबकि ठंडे या बरसात के मौसम में जाने पर प्रतिकूल मौसम का भी सामना करना पड़ सकता है। इसके अतिरिक्त गर्मी की छुट्टियों में अथवा देवी से जुड़े किसी त्योहार आदि में नवरात्रों में। यहां भक्तों ज्यादा भीड़ लगती है इसी कारण दर्शन की बारी आने में भी देर होती है।

मौसम के अनुसार करें तैयारी | Shri Mata Vaishno Devi Weather | Temperature in Vaishno Devi

जिस मौसम में यात्रा पर जा रहे हो उस मौसम के अनुकूल अपनी पैकिंग अवश्य कर लें। जिससे कि आपको परेशानी ना हो ठंड में जा रहे हो तो गर्म कपड़े आराम देय जूते साॅल दस्ताने इत्यादि।एवं गर्मियों में जा रहे हो तो हलके वस्त्र लेकर जाना उचित है। एवं मानसून के समय में इस यात्रा को करने वालों को अपने साथ छाता तथा बरसाती कपड़े (रेनकोट) साथ ले जाने चाहिए।

क्या-क्या व्यवस्थाएं प्राप्त हो सकती है वहां तक पहुंचने के पश्चात | Facility Near Vaishno Devi Temple

भवन अथवा मुख्य परिसर में पहुंचने के पश्चात वहां किराए पर अथवा निशुल्क रहने की व्यवस्था प्राप्त हो जाएगी। तथा अपने सामान इत्यादि रखने हेतु क्लॉक रूम, चिकित्सा के लिए चिकित्सालय, एवं भोजन हेतु शाकाहारी रेस्टोरेंट भी मौजूद है। इसके अतिरिक्त प्रसाद एवं कुछ स्मृति चिन्ह बेचने वाली दुकानें भी मौजूद है।

यात्रा के लिए स्वास्थ्य अच्छा होना आवश्यक है | Health Tips for Vaishno Devi Yatra

यूं तो इस यात्रा को करने हेतु किसी विशेष स्वास्थ्य सर्टिफिकेट की आवश्यकता नहीं। किंतु फिर भी क्योंकि यह धाम काफी ऊंचाई पर है। एवं इसे स्वस्थ एवं पुष्ट व्यक्ति ही कर पाने में सक्षम हो सकते हैं। अतः यह ख्याल रखें कि ह्रदय रोग, रक्तचाप संबंधी समस्या, सिर दर्द सिर का घूमना, सांस फूलना इत्यादि जैसी समस्या ना हो। अथवा कई बार ऐसी छोटी समस्याएं ऊंचाई व अधिक गर्मी के कारण भी हो जाती हैं। ऐसे में आपको यही सलाह दी जाती है कि जरा ठहर ठहर कर अपनी यात्रा पूर्ण करें। तथा पर्याप्त मात्रा में समय-समय पर भोजन पानी ग्रहण करते रहे।

वैष्णो देवी यात्रा के लिए सुगम मार्ग | Way of Vaishno Devi Mata Temple | Yatra Kaise Karen

दिल्ली के अतिरिक्त अन्य कई राज्यों के शहरों से भी जम्मू के कटरा तक डायरेक्ट ट्रेन चलती है। आप अपने नजदीकी शहर से कटरा तक की यात्रा ट्रेन से कर सकते हैं। उसके पश्चात कटरा से आप अपनी सुविधा के अनुसार कोई व्यवस्था करके त्रिकूट पर्वत तक पहुंच सकते हैं। अपनी इच्छा होने पर कटरा से मां के पहाड़ियों [katra to vaishno devi] तक पैदल भी जा सकते हैं।

कोरोनावायरस से त्रस्त होने पर भारत के प्रायः सभी मंदिरों के कपाट बंद कर दिए गए थे। एवं यात्राएं रोक दी गई थी। क्यों कि चूंकि अब स्थिति में सुधार आ चुका है। तो यह यात्राएं पुनः प्रारंभ कर दी गई है। एवं इसी के अनुसार वैष्णो देवी द्वार खुल गए हैं। एवं भक्तों के लिए यात्रा भी प्रारंभ हो चुकी है 2021 नवरात्रि प्रारंभ होने के कारण। भक्तों की सुविधाओं का ख्याल रखते हुए सेवाएं और बढ़ा दी गई हैं।

वैष्णो देवी यात्रा के लिए तैयारी कैसे करें | How to Travel Vaishno Devi

यदि देवी के धाम की यात्रा करने की लिए आप भी उत्सुक हैं। तो इसके लिए पूर्ण तैयारी अवश्य कर लें। सर्वप्रथम तो अपनी टिकट बुकिंग समय पर करवा लें। इसके पश्चात मौसम के अनुरूप वस्त्र इत्यादि की पूर्ण व्यवस्था अपने साथ ही लेकर जाएं। एवं क्योंकि परिसर तक पहुंचने के पश्चात आपको व्यवस्थाएं प्राप्त हो सकेंगी खाने पीने की। इससे पूर्व के लिए आपको अपने साथ उचित मात्रा में कुछ भोजन पानी की व्यवस्था भी लेकर चलनी चाहिए। एवं यात्रा काफी दुर्गम है जितना संभव हो सके कुछ संगी साथियों के साथ ही इस यात्रा को पूर्ण करना चाहिए। जिससे कि सभी एक दूसरे का ख्याल रखते हुए। एक दूसरे का हौसला बढ़ाते हुए इस कठिन यात्रा को सरलता से पूर्ण कर सकें।

माता वैष्णो देवी टेम्परेचर | Mata Vaishno Devi Temperature

हम सभी जानते हैं की माता देवी जी के दर्शन करने के लिए हमें पहाड़ों से होकर जाना होता है | और पहाड़ों का मौसम बहुत अलग होता है | यहाँ कभी भी तेज़ बारिश हो जाती है और कभी भी घने बदल छा जाते हैं और कभी भी तेज हवाएं चलने लगती हैं | इसीलिए जब भी आपको माता के दर्शन करने जाना है तो आपको मौसम की जानकारी (vaishnodevi temperature) जरुर होनी चाहिए |

वैसे तो माता का दरबार पूरे वर्ष खुला रहता है | लेकिन गर्मियों के मौसम में जाना अच्छा रहता है | आप फरवरी महीने से अक्टूबर महीने के बीच कभी भी अपनी यात्रा कर सकते हैं | लेकिन आपको बरसात के मौसम में जाना चाहते हैं तो आपको बहुत सावधानी बरतनी होती है | क्योंकि बरसातों में पहाड़ों के खिसकने कर भय लगा रहता है | और एक बात आपको ध्यान रखनी चाहिए की आप कभी भी माता वैष्णो देवी जी के दर्शन करने जाएँ अपने साथ गर्म कपडे, टोपी, कम्बल, रेन कोट आदि जरुर लेकर जाएँ | क्योंकि वहां का मौसम हमेशा बदलता रहता है |

माता वैष्णो देवी की लाइव आरती कैसे देखें | Vaishno Devi Aarti Live from Bhawan Today

अगर आप वैष्णो देवी जी की आरती लाइव देखना चाहते हैं तो आप इन्टरनेट की सहायता से अपने मोबाइल या कंप्यूटर पर इनके दर्शन कर सकते हैं | लाइव आरती देखने के लिए यहाँ क्लिक करें |